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समलैंगिक एएमयू प्रोफेसर सीरस की हत्या में नया मोड़

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के समलैंगिक प्रोफेसर श्रीनिवास रामचंद्र सीरस की मौत को लेकर चल रहे विवाद में यह जानकारी मिलने के बाद एक नया मोड़ आ गया है कि उनका मोबाइल फोन गायब है जबकि उनकी मौत के मामले में विश्वविद्यालय के चार वरिष्ठ अधिकारियों समेत छह लोगों के खिलाफ घुसपैठ का आपराधिक मामला दर्ज किया गया है.

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अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के समलैंगिक प्रोफेसर श्रीनिवास रामचंद्र सीरस की मौत को लेकर चल रहे विवाद में यह जानकारी मिलने के बाद एक नया मोड़ आ गया है कि उनका मोबाइल फोन गायब है जबकि उनकी मौत के मामले में विश्वविद्यालय के चार वरिष्ठ अधिकारियों समेत छह लोगों के खिलाफ घुसपैठ का आपराधिक मामला दर्ज किया गया है.

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शहर के पुलिस अधीक्षक मान सिंह चौहान ने बताया, ‘हम गायब सेलफोन का पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं.’ बताया जाता है कि बुधवार को जब पुलिस प्रोफेसर सीरस के कमरे का दरवाजा तोड़कर अंदर गयी तो सेलफोन उनके पैरों के नजदीक पड़ा था.

चौहान ने कहा कि सीरस के शव की बरामदगी के समय रसोईघर में पाये गये खाने का नमूना जांच के लिए ले लिया गया है. उन्होंने कहा कि पुलिस उनकी मौत के संबंध में किसी भी संभावना को नकार नहीं रही है क्योंकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट किसी नतीजे तक नहीं पहुंच पायी है.

इस बीच मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश पर छह लोगों के खिलाफ कल रात मामला दर्ज किया गया. सीरस ने आत्महत्या से पहले अदालत का दरवाजा खटखटाया था. चौहान ने बताया कि प्राथमिकी में विश्वविद्यालय के प्रोक्टर जुबैर खान, कुलपति के मीडिया सलाहकार प्रो एन ए के दुर्रानी, जनसंपर्क अधिकारी राहत अबरार और निजी न्यूज चैनल से जुड़े दो पत्रकारों समेत छह लोगों के नाम शामिल हैं. आरोपियों पर निजी जीवन में ताकझांक, मारपीट आदि से संबंधित भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराएं लगाई गयी हैं.

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सीरस ने अदालत से कहा था कि आरोपी जबर्दस्ती उनके घर में घुस गए और उन्होंने उनकी निजता भंग की, धमकी दी और ब्लैकमेल किया. सीरस के अनुसार पुलिस द्वारा उनकी शिकायत अकारण अनसुनी कर दिये जाने के कारण उन्हें अदालत की शरण में जाना पड़ा. अदालत ने पांच अप्रैल को सिविल लाइंस थाने को शिकायत दर्ज करने और मामले की जांच करने का आदेश दिया था.

उल्लेखनीय है कि आधुनिक भारतीय भाषाएं विभाग के 62 वर्षीय रीडर सीरस का शव सात अप्रैल को उनके निजी अपार्टमेंट में मिला था. इससे पहले विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस प्रोफेसर को समलैंगिकता के आरोप में निलंबित कर दिया था लेकिन बाद में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सीरस के निलंबन को रद्द कर दिया था.

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