समलैंगिकता पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर गुरुवार को आम आदमी पार्टी (आप) ने निराशा जताई है. 'आप' ने कहा है कि यह फैसला ना सिर्फ मानवाधिकार के विरुद्ध है, बल्कि यह संविधान के उदार मूल्यों के खिलाफ है.'
वयस्कों के बीच सहमति से बनाए गए समलैंगिक संबंध को अपराध करार दिए जाने वाले इस फैसले पर दिल्ली विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक प्रदर्शन कर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी पार्टी ने कहा कि इस तरह से कोर्ट ने ऐसे लोगों को पुलिस की दया पर छोड़ दिया है. ये आज के जमाने के खिलाफ है.
बीजेपी ने कहा, नया कानून बनाना चाहिए बीजेपी ने गुरुवार को समलैंगिकता पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर कोई पक्ष लेने से बचते हुए कहा कि सरकार को सभी राजनीतिक दलों से परामर्श कर नया कानून बनाना चाहिए. लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर सोनिया गांधी द्वारा दिए गए बयान के संदर्भ में कहा, 'इतना हताश होने की कोई जरूरत नहीं है. सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि सरकार कानून बना सकती है.'
स्वराज ने आगे कहा, 'एक सर्वदलीय बैठक बुलाई जाए और प्रस्ताव का मसौदा तैयार किया जाए. इसे सिर्फ दुर्भाग्यपूर्ण कहने से कुछ हासिल नहीं होने वाला.'
उन्होंने फिर कहा, 'सरकार का प्रस्ताव देखने के बाद हम उस पर अपनी प्रतिक्रिया देंगे. हम सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर प्रतिक्रिया नहीं दे सकते.'
कांग्रेस ने बताया फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण गुरुवार को इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को पलटते हुए बुधवार को दिए फैसले को 'दुर्भाग्यपूर्ण' बताया.
सोनिया ने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि संसद इस मुद्दे से निबटेगी और इस फैसले से सीधे तौर पर प्रभावित होने वाले लोगों के जीवन और स्वतंत्रता को कायम रखेगी. हमें अपनी संस्कृति पर गर्व है, जो हमेशा से समग्र और सहिष्णु रही है.'
सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को दिए अपने फैसले में दो वयस्कों के बीच सहमति से बनाए गए समलैंगिक संबंध को आईपीसी की धारा 377 के तहत अपराध करार दिया. सर्वोच्च न्यायालय ने 2009 में दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा समलैंगिक संबंध को गैर आपराधिक करार देने वाले फैसले को पलटते हुए अपना यह फैसला दिया.