प्रेस क्लब में देशविरोधी नारेबाजी के आरोपी एएसआर गिलानी को दिल्ली की अदालत ने दो दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया. दिल्ली पुलिस ने उन्हें सोमवार देर शाम पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया था. मंगलवार को उन्हें कोर्ट में पेश किया गया था. गिरफ्तार के बाद पुलिस ने आरएमएल अस्पताल में उनका मेडिकल भी कराया. जांच और पूछताछ के दौरान दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर एसएआर गिलानी का कश्मीरी जिहादी ग्रुप से लिंक सामने आया है.
जिहादी और अलगाववादियों से गिलानी के रिश्ते
खुफिया सूत्रों की जानकारी के मुताबिक राजनीतिक बंदियों की रिहाई के लिए गिलानी की अगुवाई में चलाई जाने वाली समिति कश्मीरी जिहादी ग्रुप से जुड़ा हुआ है. गिलानी 2012 से ही समिति को चला रहा है. यह समिति कई अलगाववादी समूहों का अंब्रेला संगठन है. खुफिया एजेंसियों ने जेएनयू में देशविरोधी नारे लगाने वाले स्टूडेंट के नक्सल लिंक की भी जानकारी दी है. गिलानी का संगठन और जेएनयू में सक्रिय डेमोक्रेटिक स्टूडेंट यूनियन (डीएसयू) दोनों के खतरनाक लिंक सामने आए हैं. दोनों ग्रुप देशविरोधी गतिविधियों में काफी सक्रिय पाए गए.
कश्मीर-पूर्वोत्तर के अलगाववादियों से लिंक
एजेंसियों के मुताबिक डीएसयू माओवादी गतिविधियों से जुड़ा संगठन है. इसके दस से अधिक सदस्य कश्मीरी जिहादी और अलगाववादी समूहों से जुड़े हुए हैं. जेएनयू विवाद का आरोपी उमर खालिद इसी से जुड़ा हुआ है. यह संगठन कश्मीरी और पूर्वोत्तर के अलगाववादियों से जुड़ा हुआ है. जेएनयू में सक्रिय डीएसयू ऑल इंडिया रिवोल्यूशनरी स्टूडेंट फेडेरेशन का हिस्सा माना जाता है. यह छात्रों का ऐसा संगठन है जो नक्सली गतिविधियों में वैचारिक योगदान देता है.
गिलानी पर रहा है संसद हमले का आरोप
एसएआर गिलानी को 2001 में संसद पर हमले के मामले में गिरफ्तार किया गया था. दिल्ली हाई कोर्ट ने बाद में 'सबूतों की कमी' के चलते अक्टूबर 2003 में उन्हें बरी कर दिया था. अगस्त 2005 में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस फैसले को बरकरार रखा था. गिलानी पर ताजा आरोप है कि उन्होंने 10 फरवरी को अफजल गुरु की बरसी के मौके पर प्रेस क्लब में एक कार्यक्रम आयोजित कर देश-विरोधी नारे लगाए गए थे.
इन धाराओं के तहत गिलानी पर केस दर्ज
प्रेस क्लब में देशविरोधी नारे लगाने वालों में कथित रूप से गिलानी भी शामिल थे. पुलिस ने उनके खिलाफ स्वतः संज्ञान लेते हुए आईपीसी की धाराओं 124ए (राजद्रोह), 120बी (आपराधिक साजिश), 149(गैर-कानूनी रूप से जमा होने) और 34 के तहत केस दर्ज किया गया था.