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भारतीय हॉकी टीम से फिर जुड़ना चाहते हैं गेरहार्ड रॉक

भारतीय हॉकी टीम को छोड़ने के अपने फैसले पछता रहे मशहूर जर्मन कोच गेरहार्ड पीटर रॉक का कहना है कि उन्होंने ‘बचकाना’ हरकत की थी लेकिन मौका मिलने पर वह इस गलती को सुधारना चाहेंगे.

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भारतीय हॉकी टीम को छोड़ने के अपने फैसले पछता रहे मशहूर जर्मन कोच गेरहार्ड पीटर रॉक का कहना है कि उन्होंने ‘बचकाना’ हरकत की थी लेकिन मौका मिलने पर वह इस गलती को सुधारना चाहेंगे.

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केपीएस गिल की अगुवाई वाले भारतीय हॉकी महासंघ ने जुलाई 2004 में राजिंदर सिंह की जगह रॉक को भारतीय हॉकी टीम का पहला विदेशी कोच नियुक्त किया था लेकिन छह महीने के भीतर उनका टीम से नाता टूट गया.

रॉक ने कहा, ‘एथेंस ओलंपिक में खराब प्रदर्शन के बाद मैंने युवा भारतीय टीम के साथ पाक दौरे पर अच्छा प्रदर्शन किया. हमने पाकिस्तान को 4-1 से हराया और चैम्पियंस ट्राफी में चौथे स्थान पर रहे थे.’

उन्होंने कहा, ‘केपीएस गिल ने सेमीफाइनल में पहुंचने पर मुझे दीर्घकालिक अनुबंध देने का वादा किया था. लेकिन चैम्पियंस ट्राफी में पदक नहीं जीतने के बाद उनका इरादा बदलने लगा. इसी से गुस्से में आकर मैंने भारत छोड़ दिया जो बचकाना हरकत थी. आज के हालात में ऐसा मैं कभी नहीं करता.’

बांग्लादेश के मौजूदा मुख्य कोच ने कहा, ‘मौका मिलने पर मैं फिर भारतीय हॉकी से जुड़ना चाहूंगा क्योंकि मेरा काम अधूरा रह गया था. मैने जब भारतीय टीम को छोड़ा तब वह विश्व रैकिंग में पांचवें स्थान पर थी.’

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रॉक ने हालांकि कहा कि भारत को राजनीति से परे एक मजबूत हाकी महासंघ की जरूरत है. उन्‍होंने कहा, ‘भारत में दिक्कत यह है कि वह देश नहीं बल्कि उपमहाद्वीप जैसा है. वहां महासंघ का इतना मजबूत होना जरूरी है कि राजनीति से परे रह सके.’

इस अनुभवी कोच का मानना है कि भारतीय हॉकी में मची मौजूदा घमासान का असर टीम के प्रदर्शन पर नहीं पड़ेगा. उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि इसका असर टीम पर पड़ेगा. खिलाड़ियों को इससे कोई मतलब नहीं होता कि सत्तारूढ कौन है. खिलाड़ी तो सिपाही की तरह हैं जिन्हें अपने काम को अंजाम देना है, शासन चाहे किसी का भी हो.’{mospagebreak}

राष्ट्रमंडल खेल और एशियाड में मौजूदा भारतीय टीम की संभावनाओं के बारे में पूछने पर रॉक ने कहा कि वह यथार्थवादी आकलन कर पाने में फिलहाल समर्थ नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि जोस ब्रासा के मार्गदर्शन में मौजूदा टीम कैसा प्रदर्शन कर रही है. विश्व कप के नतीजों के आधार पर कयास नहीं लगाया जा सकता.’ एशियाड तक बांग्लादेशी टीम के मुख्य कोच राक 18 सदस्यीय टीम के साथ जर्मनी में दो महीने का शिविर लगाने जा रहे हैं.

रॉक ने कहा, ‘बांग्लादेश हॉकी महासंघ में कई समस्यायें हैं जो भारत में भी थी. मैं एशियाड तक टीम के साथ हूं और हमारा लक्ष्य एशिया में शीर्ष छह में आना है जो कठिन है. हम बेहतर अभ्‍यास के लिये जर्मनी जा रहे हैं जहां 18 खिलाड़ियों के साथ दो महीने का शिविर लगाया जायेगा.’

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