मैसूर बैंगलोर और चेन्नई बुलेट ट्रेन कॉरीडोर को बढ़ाकर विजयवाड़ा तक कर दिया गया है. इस रूट की फिजीबिलिटी के अध्ययन का जिम्मा जर्मनी को दे दिया गया है. रेल मंत्रालय ने जर्मनी के ट्रांसपोर्ट और डिजिटल इंफ्रास्ट्राक्चर मंत्री एलेंजेंडर डॉबरिंट के साथ हुई बैठक में ये फैसला लिया. रेल मंत्री सुरेश प्रभु के साथ राजधानी दिल्ली में रेल भवन में जर्मनी के ट्रांसपोर्ट मंत्री ने शुक्रवार को लंबी बातचीत की. इस बैठक में भारतीय रेलवे को तकनीकी रुप से सक्षम बनाने के कई पहलुओं पर जर्मनी ने सहयोग का वायदा किया है. भारतीय रेलवे और डीबी इंजीनियरिंग एंड कंसल्टिंग जीएमबीएच के बीच इस बैठक में एमओयू भी साइन किया गया.
300 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ज्यादा स्पीड पर हाई स्पीड ट्रेन चलाने के लिए मैसूर और चेन्नई के बीच का रास्ता पहले चुना गया था. इस रूट पर बैंगलोर को भी जोड़ा गया था. लेकिन जर्मनी के साथ हुई बैठक में रेल मंत्री सुरेश प्रभु को इस रूट पर बुलेट ट्रेन की वॉयबिलिटी को लेकर ये सुझाव दिया गया कि इस कॉरीडोर की लंबाई बढ़ाई जाए ताकि ज्यादा से ज्यादा यात्री इस सुविधा का फायदा ले सकें और इस रूट पर बुलेट ट्रेन चलाना घाटे का सौदा न बन जाए. इस मसले पर जर्मनी के प्रस्ताव पर भारत ने हामी भर दी और ये तय किया गया कि मैसूर बैंगलोर और चेन्नई होते हुए बुलेट ट्रेन के रूट को विजयवाड़ा तक ले जाया जाएगा. इस रूट पर हाई स्पीड कॉरीडोर बनाने के लिए अध्ययन का काम जर्मनी जनवरी 2017 में शुरू कर देगा.
जर्मन ट्रांसपोर्ट मंत्री के साथ भारत के रेल मंत्री की बैठक में जीरो एक्सीडेंट मिशन पर भी चर्चा हुई. इस मसले पर जर्मनी और भारत के बीच वर्किंग ग्रुप का भई गठन किया गया. वर्किंग ग्रुप जल्द से जल्द जीरो एक्सीडेंट मिशन के मसले पर तकनीकी बदलाव के बारे में अपनी सलाह देगा. इसके अलावा मोदी सरकार के स्टेशन रिडेवलपमेंट के सपने को साकार करने के लिए भी जर्मनी ने रुचि दिखाई है. ऐसी उम्मीद है कि जर्मनी जल्द ही कुछ स्टेशनों को विकसित करने का जिम्मा अपने हाथ में लेगा. इसके अलवा भारतीय रेलवे की स्पीड बढ़ाने में भी जर्मनी ने तकनीकी सहयोग देने का वायदा किया है.