प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लालफीताशाही और राजनीतिक हस्तक्षेप की वजह से भारतीय विज्ञान के कुछ क्षेत्रों के पिछड़ने को ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ करार देते हुए रविवार को वैज्ञानिकों से कहा कि वे सरकार के साथ मिलकर विज्ञान को ‘‘नौकरशाही और अंतर्विभागीय पक्षपात’’ के चंगुल से मुक्त करें.
यह उल्लेख करते हुए कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी को ‘‘नया विकास’’ देने का समय आ गया है प्रधानमंत्री ने ‘‘प्रतिभा पलायन’’ को ‘‘प्रतिभा विकास’’ में तब्दील करने के लिए विदेशों में काम कर रहे भारतीय वैज्ञानिकों से देश लौट आने को कहा ।
मनमोहन ने घोषणा की कि सरकार डॉक्टरेट और परा डॉक्टरेट शोधवृत्ति राशि की समीक्षा तथा ऐसी योजनाएं बनाने पर विचार कर रही है जिसके दायरे में कुछ धन की मदद के साथ सभी शोध विद्वान आएंगे ।
मनमोहन ने यहां 97वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस का उद्घाटन करते हुए कहा ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सीवी रमन और अन्य के जमाने से लालफीताशाही राजनीतिक हस्तक्षेप और अच्छे काम को उचित पहचान के अभाव में भारतीय विज्ञान के कुछ क्षेत्रों में प्रतिगमन हुआ है