लंबे समय से कट्टरपंथी माने जाने वाले सैयद अली शाह गिलानी कश्मीर में जारी हिंसा के खिलाफ खुलकर बोले और उन्होंने कहा कि सार्वजनिक संपत्ति को जलाने से ‘आंदोलन’ को नुकसान पहुंचेगा.
80 वर्षीय गिलानी का यह आश्चर्यजनक बयान घाटी में हिंसक विरोध प्रदर्शनों की पृष्ठभूमि के चलते अपने आवास पर टेलीविजन कैमरों पर आया जहां हाल के हफ्तों में 39 लोगों की जान जा चुकी है. उन्होंने कहा कि पथराव, कार्यालयों, रेलवे स्टेशनों और वाहनों की आगजनी कश्मीरी आंदोलन का हिस्सा नहीं है और यह सिर्फ इस मुद्दे को नुकसान पहुंचा रहा है.
हिरासत से सोमवार को रिहा हुए गिलानी ने कहा, ‘इस प्रकार की हिंसा उन लोगों को प्रभावित नहीं करेगी जिनके खिलाफ हम विरोध कर रहे हैं. यह सिर्फ हमें प्रभावित करेगी. हमें शांत दिमाग से इसके बारे में विचार करना चाहिए. यह मेरी इच्छा है कि यह आंदोलन आगे चले लेकिन इस तरह हिंसक तरीके से नहीं.’ गिलानी ने कहा, हालांकि हिंसा कश्मीरियों के प्रति अन्याय की प्रतिक्रिया है लेकिन उन्हें मौलिक सिद्धांतों को नहीं भूलना चाहिए.
गिलानी ने कहा, ‘सभी परिस्थितियों में हमें अपनी असहाय स्थिति को पेश करना चाहिए. हम क्रूर नहीं हैं, हम असहाय हैं और इसके माध्यम से हमें उन्हें यह जानकारी देनी चाहिए कि हमारी अच्छी परवरिश हुई है.’ गिलानी ने लोगों से शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने और पुलिस द्वारा रोके जाने की स्थिति में वहीं धरना शुरू कर देने की अपील की. उन्होंने लोगों से कहा कि वे शांत मन से उनकी अपील पर गौर करें और हिंसक प्रदर्शनों में शामिल होने से बाज आयें.