कश्मीर घाटी में हाल ही हिंसा के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले कट्टरपंथी हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी ने केंद्र की बातचीत की पेशकश ठुकरा दी.
अलगाववादी नेता ने संवाददाताओं से कहा कि मैं वार्ता की पेशकश को कड़ाई से खारिज करता हूं. जब तक भारत कश्मीर को विवाद के रूप में स्वीकार नहीं करता, राज्य से पूरी तरह सेना नहीं हटाता, हम दिल्ली से साथ गुपचुप या खुली वार्ता नहीं करेंगे.
उन्होंने कहा कि यदि ऐसा होता है तो तब संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों को लागू करने के तौर तरीकों पर विचार करने के लिए वार्ता हो सकती है. उन्होंने एक बार युवकों से हिंसा में संलिप्त नहीं रहने की अपील करते हुए कहा कि उनके इस काम से ‘हमारे उद्देश्य’ को नुकसान पहुंचेगा तथा दूसरे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारे आंदोलन बदनाम करने का मौका मिलेगा.
इसी बीच नरमपंथी धड़े के अध्यक्ष मीरवायज उमर फारूक ने वार्ता की पेशकश पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है. उल्लेखनीय है कि केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदम्बरम ने अलगाववादियों से वार्ता में शामिल होने की पेशकश की थी.