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आर्थिक स्वतंत्रता के मामले में भारत का प्रदर्शन भी सुधरा, फिर भी भूटान से पीछे

दुनिया भर के देशों की आर्थिक स्वतंत्रता बढ़ी है और इस क्रम में भारत ने भी बेहतर प्रदर्शन किया है. हालांकि, सुधार के बाद भी भारत पड़ोसी देश भूटान से पीछे है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

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आर्थिक स्वतंत्रता के मामले में भारत ने पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष अपनी स्थिति में सुधार किया है और दो पायदान ऊपर चढ़कर 96वें क्रम पर पहुंच गया है. पड़ोसी देशों में से सिर्फ भूटान ही 73वें क्रम के साथ भारत से आगे है. सूची में नेपाल 102वें, श्रीलंका 106ठें, चीन 108वें, बांगलादेश 120वें, पाकिस्तान 132वें और म्यांमार 151वें क्रम के साथ भारत से पीछे हैं.

भारत के अग्रणी थिंकटैंक सेंटर फॉर सिविल सोसायटी और कैनेडियन थिंकटैक फ्रेजर इंस्टिट्यूट द्वारा मंगलवार को संयुक्त रूप से 'वैश्विक आर्थिक स्वतंत्रता सूचकांक 2018' जारी किया गया. इस सूचकांक में कुल 162 देशों को शामिल किया गया है.

वैश्विक आर्थिक स्वतंत्रता सूचकांक-2018 में हांगकांग पहले, सिंगापुर दूसरे, न्यूजीलैंड तीसरे, स्विट्जरलैंड चौथे और आयरलैंड पांचवें पायदान पर हैं. जबकि, यूएस, जॉर्जिया, मॉरीशस, यूके, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा शीर्ष 10 में शामिल हैं. भारत (96) के अलावा अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्था वाले देशों में से जर्मनी (20वें), जापान (41वें), फ्रांस (57वें), रूस (87वें) और चीन (108वें) क्रम पर रखा गया है.

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आर्थिक स्वतंत्रता के मामले में सबसे बुरा प्रदर्शन करने वाले वेनेजुएला को क्रम में अंतिम (162वां) स्थान प्रदान किया गया है. जबकि, लिबिया, अर्जेंटिना, अल्जीरिया, सीरिया, रिपब्लिक ऑफ कांगो, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, अंगोला गुएना-बिसाव और सुडान क्रमशः 161वें, 160वें, 159वें, 158वें, 157वें, 156वें, 155वें, 154वें, 153वें और 152वें क्रम पर हैं.

विदित हो कि फ्रेजर इंस्टिट्यूट, लगभग 100 देशों के शोध संस्थाओं और शैक्षणिक संस्थानों के साथ मिलकर प्रतिवर्ष वैश्विक आर्थिक स्वतंत्रता सूचकांक जारी करता है. यह सूचकांक देशों में 'सरकार के आकार', 'संपत्ति के अधिकार की सुरक्षा के लिए कानूनी संरचना', 'धन तक लोगों की पहुंच', 'वैश्विक व्यापार की स्वतंत्रता और कर्ज के नियमन' और 'श्रम व व्यवसाय' जैसे पांच अव्यवों की माप पर आधारित होता है.

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