गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर उन चुनींदा मुख्यमंत्रियों में हैं जो हमेशा प्रगतिशील बातें करने और उनका पालन करने के लिए जाने जाते हैं. आईआईटी से शिक्षित पर्रिकर बीजेपी के बड़े नेता तो है, अपनी धर्मनिरपेक्षता का ढोल नहीं पीटते और जरूरत पड़ने पर कड़े कदम उठा सकते हैं. इसका सबसे बड़ा उदाहरण गोवा में श्रीराम सेने पर रोक लगाने का है.
कर्नाटक का यह अतिवादी संगठन जो अपने को हिंदूवादी कहता है, पहले से अपने कुकृत्यों के लिए बदनाम रहा है. इसने कर्नाटक में ऐसे कई काम किए हैं जिससे हिंदू धर्म को भारी धक्का लगा है. हिंदू धर्म की रक्षा के नाम पर उसके सदस्यों ने निहत्थी लड़कियों की जो पिटाई की उसे भला कौन भुला सकता है? उस समय ही इस संगठन का तालिबानी चेहरा सबके सामने आया और उसके बाद से यह इस तरह के बयान वगैरह देने के लिए जाना जाता रहा. इस संगठन के मुखिया प्रमोद मुतालिक अपने अतिवादी विचारों के लिए जाने जाते हैं. वे यह भूल जाते हैं कि हम जिसे हिंदू धर्म कहते हैं, वह सहनशीलता और करुणा का दूसरा नाम है. इस धर्म की खासियत यह रही कि इसने किसी को चोट नहीं पहुंचाई चाहे वह शारीरिक हो अथवा मानसिक.
यह धर्म तमाम तरह के आक्रमणों से बचा तो इसलिए कि इसमें बेशुमार सहनशीलता और प्रेम की भावना रही है. इसकी उदारता ने इसे एक महान धर्म बनाया है. अब इसका चरित्र बदलने का हक किसी को नहीं है. गोवा भारत का एक ऐसा राज्य है जहां हर धर्म, जाति, देश और समाज के लोग खुलकर जीवन जीते हैं. वहां ऐसा वातावरण रहता है जिसमें किसी को किसी से तकलीफ नहीं होती. टूरिज्म वहां का सबसे बड़ा आय का स्रोत है. सारी दुनिया के पर्यटक वहां आते हैं और शांत तथा खुशनुमा जीवन बिताते हैं. ऐसे में कट्टरपंथियों की कोई जगह नहीं है. मुतालिक जैसे लोग पश्चिमी संस्कृति की खिलाफत करने के नाम पर सिर्फ अपनी दुकान और दादागीरी चलाते हैं.
धार्मिक उग्रता पैदा करके वे अपनी पैठ बनाना चाहते हैं. ऐसे लोगों के लिए हमारे समाज में कोई जगह नहीं है. गोवा के मुख्य मंत्री ने बिल्कुल सही कदम उठाया है और हिन्दू धर्म को संकीर्ण बनाने के प्रयासों को एक झटका दिया है.