गोवा के अवैध खनन मामले में दो पूर्व मुख्यमंत्रियों को गम्भीर नुकसान झेलना पड़ सकता है. गोवा की मौजूदा भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति से कहा कि खनन घोटाले में कथित संलिप्तता के लिए वह पूर्व मुख्यमंत्रियों प्रतापसिंग राणे और दिगम्बर कामत के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराएगी.
मुख्य सचिव बी. विजयन द्वारा तैयार किए गए 68 पृष्ठ के पत्र में बताया गया है कि खनन लीज के नवीनीकरण में हो रही देरी की अनदेखी के बारे में राणे और कामत (दोनों कांग्रेस के) द्वारा लिए गए फैसले के लिए उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी.
कामत 2007 से 2012 के बीच गोवा के मुख्यमंत्री थे, जबकि राणे 1980 से 1989, 1994 से 1999 और 2005 से 2007 के बीच गोवा के मुख्यमंत्री थे.
न्यायमूर्ति एम.बी. शाह आयोग की रिपोर्ट और विजयन के पत्र के मुताबिक कामत और राणे ने अपने-अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल में खनन लीज के नवीनीकरण में देरी की अनदेखी की. आयोग ने ही इस घोटाले का खुलासा किया है.
विजयन का पत्र नई दिल्ली में सेंट्रल एम्पावर्ड कमिटी (सीईसी) के नाम लिखा गया है. इस समिति का गठन सर्वोच्च न्यायालय ने घोटाले की जांच करने के लिए किया था. एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य में अक्टूबर महीने से सभी खनन गतिविधियों पर रोक लगा दी है.
विजयन ने कहा, 'राणे और कामत जिम्मेदार हैं और उन्होंने ये फैसले लिए हैं, इसलिए राज्य सरकार ने उनके विरुद्ध उपयुक्त आपराधिक मामला दाखिल करने का फैसला लिया है.'
उन्होंने कहा कि प्राथमिकी रिश्वत से सम्बंधित कानून और भारतीय दंड संहिता की प्रासंगिक धारा के तहत दाखिल की जाएगी. राणे ने हालांकि से कहा कि उन्हें ऐसे किसी पत्र की जानकारी नहीं है और मुख्यमंत्री रहते उन्होंने जो भी फैसले किए वे वैध हैं. कामत से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है.