असम के मुख्यमंत्री तरूण गोगोई ने कहा कि धार्मिक असिहष्णुता जैसे कारणों को लेकर भारत आने वाले बांग्लादेशियों को शरणार्थी का दर्जा दिया जाना चाहिए और उन्हें देश में रहने की इजाजत मिलनी चाहिए.
गोगोई ने कहा, ‘धार्मिक या अन्य कारणों के चलते भारत आने के लिए मजबूर हुए प्रवासियों को मानवीय आधार पर शरणार्थी का दर्जा दिया जाना चाहिए.’ हालांकि, उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि अपनी इच्छा से भारत आने वालों और मजबूर होकर आने वाले लोगों के बीच अंतर है.
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘आज, इन सभी लोगों के साथ हम विदेशी जैसा बर्ताव करते हैं. यदि उनकी अवैध प्रवासी के तौर पर पहचान की जाती है तो उन्हें वापस भेजा जाए.’ उन्होंने बताया कि वह केंद्र से इस मुद्दे पर विचार करने के लिए पहले ही अनुरोध कर चुके हैं.
गोगोई ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार छह समुदायों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने के विषय पर भी विचार कर रही है. केंद्र सरकार के एक बयान में इन समुदायों के एसटी श्रेणी में शामिल किए जाने की अर्हता को पूरा नहीं करने की बात कहे जाने पर असम के कुछ हिस्सों में हिंसक प्रदर्शन हुए थे.
गौरतलब है कि असम सरकार ने कोच राजवंशी, ताई अहोम, मोरन, मुटोक, सुतिया सहित छह आदिवासी समुदायों को कई मौके पर एसटी का दर्जा दिए जाने की मांग की है.