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महाखजाने की खोज में आज का दिन अहम, दीवार मिली, ASI को भी लगा- हो सकता है सोना

उन्नाव के डौंडियाखेड़ा गांव में खजाने की तलाश में खुदाई जारी है. खुदाई शुरू होने के तीन दिन बाद आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) को कुछ उम्मीद नजर आने लगी है. किले में करीब तीन फीट की खुदाई पर एक दीवार का कोना नजर आया है. और एएसआई को उम्मीद है कि इस दीवार के पार सोने का खजाना मिल सकता है.

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डौंडियाखेड़ा में दीवार मिली
डौंडियाखेड़ा में दीवार मिली

उन्नाव के डौंडिया खेड़ा गांव में खजाने की तलाश में खुदाई जारी है. खुदाई शुरू होने के तीन दिन बाद आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) को कुछ उम्मीद नजर आने लगी है. किले में करीब तीन फीट की खुदाई पर एक दीवार का कोना नजर आया है. और एएसआई को उम्मीद है कि इस दीवार के पार सोने का खजाना मिल सकता है.

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किला और किले के अदंर बने जिस मंदिर में कल तक किसी की दिलचस्पी नहीं थी, अब उस किले का राज गहराने लगा है और लोगों की दिलचस्पी भी जगने लगी है. यहां खुदाई में जुटी एएसआई की टीम के चेहरे पर खुशी छलकने लगी है.

उन्नाव के राजा राव राम बख्श सिंह के किले में तीसरे दिन सुबह 10 बजे जब खुदाई शुरू की गई तो किले के अंदर से प्राचीन सभ्यता से जुड़ी खास निशानी हाथ नहीं लगी. जैसे-जैसे खुदाई होती गई आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की टीम के चेहरे की मायूसी बढ़ती गई, लेकिन शाम होते-होते अचानक ही टीम का चेहरा खिल गया.

10 और मजदूर काम पर लगाए
एएसआई की जो टीम दो दिन तक 12 मजदूरों से खुदाई करा रही थी. उसने दस और मजदूर काम पर लगा दिए हैं. और वैज्ञानिकों को खुदाई का नतीजा भी मिलने लगा है. तीसरे दिन खुदाई के बाद गड्ढे में एक दीवार नजर आई है. ये दीवार जमीन से करीब एक मीटर नीचे है. और एएसआई को लगता है कि ये दीवार प्राचीन काल की हो सकती है.

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फिलहाल दीवार की चौड़ाई दो फीट नजर आ रही है लेकिन उम्मीद की जा रही है कि इसके आसपास की सफाई करने पर दीवार का पूरा आकार नजर आएगा. साथ ही किले के उस रहस्य से भी पर्दा उठेगा, जो जमीन के नीचे रहस्य के सात पर्दों में दफ्न है.

सबकी नजर किले की तरफ है और दिमाग में ये तीन सवाल बार-बार घूमते हैं-
पहला- क्या किले से खजाना निकलेगा?
दूसरा- क्या एक हजार टन सोना मिलेगा?
तीसरा- क्या एक साधु का सपना सच होगा?

सरकार के मन में हजार टन सोने का सपना जगाने वाले साधु शोभन सरकार ने दावा किया है कि जमीन के 25 फुट नीचे एक हजार टन सोना दबा हुआ है. एएसआई की टीम 3 फुट खुदाई कर चुकी है. अब ये सवाल उठ रहा है कि जो दीवार मिली है, क्या इस दीवार के पार पहुंचकर एएसआई की टीम खजाने तक पहुंच जाएगी? क्योंकि इससे पहले टीम को खपरैल और ईंटें मिल चुकी हैं. एएसआई की टीम को लगता है कि उसका मिशन सही दिशा में जा रहा है और अब खजाने के सोने से पर्दा उठते देर नहीं लगेगी.

राजा ने अपनी मौत से पहले दफनाया था सोना!
ये शायद इतिहास का पहला मौका है जब एक सरकारी एजेंसी आर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया इस तरह खजाने की खोज में जुटी है. इस एजेंसी को तलाश है सोने के ऐसे भंडार की, जिसे एक राजा ने मरने से पहले जमीन में दफना दिया था. सोमवार को एजेंसी एक बार फिर उस खजाने तक पहुंचने की कोशिश में जुटेगी.

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एएसआई की टीम को खुदाई से पहले ही पता चला था कि इस जगह पर करीब 25 फीट नीचे किसी धातु का जखीरा हो सकता है. और ये धातु भी ऐसी धातु है, जो चुंबक की ओर आकर्षित नहीं होती. तो साफ है कि वो धातु लोहा नहीं, कुछ और है. सोना भी हो सकता है. वो हजार टन सोना.

सोमवार को एएसआई की कोशिश होगी कि दीवार के ओर-छोर का पता लगाया जाए. बताया जा रहा है कि दीवार के आकार के आधार पर जमीन के नीचे जो ढांचा मिलेगा. उसी ढांचे के साथ टीम आगे की खुदाई करेगी.

सीसीटीवी कैमरों का पहरा
जहां खुदाई चल रही है वहां सीसीटीवी कैमरों का पहरा है. यहां पर ऐसे चार कैमरे लगाए हैं और ये सभी नाइट विजन कैमरे हैं, यानी ऐसे कैमरे, जो रात में बिजली गुल हो जाने के बाद भी सबकुछ आसानी से कैप्चर कर सकते हैं.

रोशनी में नहाया अंधेरा किला
एएसआई की टीम के पहुंचने से पहले ये किला वीरान खंडहर हुआ करता था. रात में तो घना अंधेरा छाया ही रहता था. दिन में भी इस भूतिया किले में किसी की जाने की हिम्मत नहीं होती थी, लेकिन खजाने की खोज में ये अंधेरा किला रोशनी से नहा चुका है. यहां हर हरकत पर नजर रखने के लिए रात भर रोशनी का इंतजाम किया गया है.

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तीन स्तर के सुरक्षा घेरे में किला
किले को पीएसी और स्थानीय पुलिस बल के तीन स्तरीय सुरक्षा घेरे में रखा गया है, ताकि किसी भी तरह की अप्रिय घटना को होने से रोका जा सके और यदि कोई खजाना मिलता है तो उसकी सुरक्षा हो सके.

क्या है पूरा मामला
इतिहास में शायद ये पहला मौका है जब एएसआई खजाने की खोज में खुदाई करा रहा है और ये भी पहला ही मौका है जब विभाग ने विज्ञान नहीं, एक साधु के सपने को आधार बनाया होगा.

दरअसल, कानपुर देहात में रहने वाले शोभन सरकार ने एक सपना देखा था. उन्नाव के डौंडिया खेड़ा गांव में राव राम बख्श सिंह के किले में हजार टन सोना दबा पड़ा है. और राजा ने साधु को उसकी हिफाजत करने को कहा. साधु ने ये सपना यूपीए सरकार के मंत्री को क्या बताया. एक उपेक्षित किला और उपेक्षित गांव सुर्खियों में आ गया है.

महाखजाने की खोज शुरू हो गई है. लेकिन ये सवाल अभी तक अटका है कि यह खजाना आखिर किसका है. कोई कहता है कि ये खजाना राजा राव राम बख्श सिंह का है तो कोई इसे पेशवा बाजीराव का खजाना बता रहा है.

साढ़े 6 सौ साल पुरानी रियासत डौंडिया खेड़ा के जमींदार विशेश्वर सिंह के बेटे प्रोफेसर लाल अमरेन्द्र सिंह के मुताबिक ये खजाना राम बख्श के पूर्वज महाराज त्रिलोकचंद का है. प्रोफेसर लाल अमरेंद्र सिंह की मानें तो ये खजाना 16वीं शताब्दी में यहां राज करने वाले महाराज त्रिलोकचंद ने जुटाया था.

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महाखजाने को किले की दीवारों में भी छिपाया गया हो सकता है. ये दावा है प्रोफेसर लाल अमरेंद्र सिंह का. इस खजाने का एक नक्शा भी है, जिसे राजा राम बक्श नें अपनी मां के पास छोड़ दिया था. इस दावे के पीछे कई वजहें हैं.

महाराजा त्रिलोक चंद यहां के सबसे प्रतापी राजा हुए, जिन्हें इलाके में वैश्यों का सबसे प्रतापी राजा कहा जाता था. त्रिलोक चंद दिल्ली के बादशाह लोदी से जुड़े हुये थे. इनके अलावा मैनपुरी के राजा सुमेर शाह चौहान भी बहलोल लोदी से जुडे हुये थे. त्रिलोकचंद का राज उन्नाव के अलावा बहराइच, कन्नौज, बाराबंकी और लखीमपुर खीरी तक फैला हुआ था. इसीलिए माना जा रहा है कि इतना बड़ा खजाना महाराजा त्रिलोकचंद का हो सकता है.

डौंडियाखेड़ा गांव के किले के पास जो मंदिर है, वो राजा रावराम बख्श सिंह ने बनवाया था, जबकि मंदिर के शिखर की स्थापना और मूर्ति स्थापना 1932 में जमींदार विशेश्वर सिंह ने कराई थी.

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