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गोंडा में दलित ने दी जान, गलती से गोहत्या के बाद बंद था हुक्का-पानी

घटना के बाद गांववालों की कई बैठकें हुईं. ये फैसला किया गया कि पंचायत के आखिरी फैसले तक रामू का बायकॉट किया जाएगा. गांव के रिवाज के मुताबिक गोहत्या करने वाले शख्स को साल भर के लिए गांव से बाहर अकेले रहने होता है. इस दौरान उसे खाना भी खुद ही बनाना पड़ता है.

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गलती से गोहत्या के बाद दलित ने दी जान, बहिष्कार से था परेशान
गलती से गोहत्या के बाद दलित ने दी जान, बहिष्कार से था परेशान

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यूपी में गोंडा में गलती से गाय की हत्या करने वाले एक दलित नौजवान ने खुदकुशी कर ली. 18 साल के रामू को गांववालों के बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा था.

ट्रेन के सामने कूदा रामू
पुलिस को रामू का शव शनिवार की सुबह इटियाथोक थाना क्षेत्र के बहलोलपुर गांव के पास मिला. गांववालों के मुताबिक वो घास काटने की बात कहकर घर से निकला था. कुछ देर बाद ही उसकी मौत की खबर मिली. हालांकि उसके पास से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं किया गया.

गलती से हुई थी बछड़े की हत्या
रामू गोपालपुर बरंडी गांव में अपनी मां और तीन भाइयों के साथ रह रहा था. मजदूरी से पेट पालने वाले रामू की अभी शादी भी नहीं हुई थी. तीन दिन पहले खूंटा गाड़ते वक्त उसका हथौड़ा गलती से बछड़े के सिर पर जाकर लगा जिसके बाद उसकी मौत हो गई.

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बहिष्कार कर रहे थे गांववाले
घटना के बाद गांववालों की कई बैठकें हुईं. ये फैसला किया गया कि पंचायत के आखिरी फैसले तक रामू का बायकॉट किया जाएगा. गांव के रिवाज के मुताबिक गोहत्या करने वाले शख्स को साल भर के लिए गांव से बाहर अकेले रहने होता है. इस दौरान उसे खाना भी खुद ही बनाना पड़ता है. बछड़े की मौत के बाद गांव के लोग रामू से बोलचाल नहीं कर रहे थे.

इंसाफ के लिए बुलाई गई थी पंचायत
रामू की मां बहिष्कार के बाद अपने बेटे की परेशानी से वाकिफ थी. वो बेटे की बेगुनाही साबित करने के लिए पंचायत बुलाने की तैयारी कर रही थी. इस सिलसिले में गांव की प्रधान से मिलने के करीब घंटे भर बाद ही उसे बेटे की मौत की खबर मिली.


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