पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार के द्वारा राज्य के सभी स्कूलों (पहाड़ में भी) में बंगाली पढ़ाई अनिवार्य करने करने और अलग गोरखालैंड की मांग को लेकर राज्य काफी दिनों से सुलग रहा है. गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ता लगातार राज्य में हिंसक प्रदर्शन कर रहे हैं. मंगलवार को राज्य पुलिस के द्वारा प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज भी किया गया था. ममता का रवैया अभी तक इस मुद्दे पर सख्त रहा है, लेकिन वह हालात को संभालने में नाकाम रही हैं. मौजूदा हालातों को देखते हुए बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य का बयान एक बार फिर चर्चा में है.
क्या बोले थे भट्टाचार्य?
2011 में जब ममता ने राज्य की कमान संभाली थी, तो उस समय उन्होंने लगातार पूरे प्रदेश का दौरा किया था. तब ममता ने कहा था कि राज्य में अब शांति है, पहाड़ी इलाका पूरी तरह से राज्य सरकार के साथ है. उस समय बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने कहा था कि बंगाल का पहाड़ी इलाका अभी भी शांत नहीं है. दार्जिलिंग में गोरखा क्षेत्रीय प्रशासन करार एक ‘भूल’ थी क्योंकि इससे गोरखालैंड मुद्दे पर समझौता किया गया था.
भट्टाचार्य ने बांग्ला भाषा के एक समाचार चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था कि यह इतना आसान नहीं है कि मामले को एक दिन में सुलझा लिया जाएगा. GTA करार में गोरखालैंड की चर्चा ही अपने आप में एक भूल थी, यह समझौता सही नहीं था. उन्होंने उस समय कहा था कि मुझे चिंता है कि 5 साल बाद बंगाल का क्या हाल होगा.
GJM ने किया बंद का ऐलान
गोरखालैंड जनमुक्ति मोर्चा (GJM) के द्वारा दार्जिलिंग में बुलाए गए बंद के दौरान हिंसा भड़क गई है. इस दौरान पुलिस ने GJM के कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज किया. बताया जा रहा है कि जीजेएम समर्थकों ने मुंबई से आए कुछ पर्यटकों की गाड़ी को रोक दिया था, उनका कहना है कि जब तक उनके बंद का आह्वान है तब तक वहां पर कोई वाहन नहीं आने या जाने दिया जाएगा. बंद के कारण सभी बाजार, दुकानें बंद हैं, जिससे दैनिक जीवन पर भी काफी असर दिख रहा है.
चंद्र कुमार बोस ने किया सपोर्ट
वहीं नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परपोत्र चंद्र कुमार बोस ने भी गोरखा लोगों के इस आंदोलन का समर्थन किया है. उनका कहना है कि गोरखाओं को उनका अधिकार मिलना चाहिए, उन्होंने नेताजी के साथ मिलकर आजादी की लड़ाई में संघर्ष किया था.
क्यों भड़की हिंसा?
बता दें कि पूरे बंगाल के स्कूलों में बंगाली पढ़ाए जाने को अनिवार्य किए जाने के कारण हिंसा भड़की थी. इस वजह से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के दौरे के खिलाफ गोरखा जनमुक्ति मोर्चा पूरे पहाड़ी इलाके में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन कर रही है. बता दें कि इसी प्रदर्शन को रोकने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े ताकि प्रदर्शनकारियों को अलग-थलग किया जा सके. विरोध प्रदर्शन के चलते कई सारे पर्यटक पहाड़ी इलाकों में फंसे हुए थे. पश्चिम बंगाल सरकार ने स्थिति पर नियंत्रण के लिए आर्मी की मदद मांगी थी. राज्य सरकार की मांग पर केंद्र सरकार ने आर्मी की दो टुकड़ियां भेजी हैं.
ममता ने जताई थी चिंता
दूसरी ओर ममता ने कहा कि दार्जिलिंग के लोगों के हित को लेकर उनकी सरकार चिंतित है. इलाके के लोगों और उनकी भाषा की पहचान के लिए सरकार ने कई सारे कदम उठाए हैं. बंगाल की मुख्यमंत्री ने दार्जिलिंग के लोगों शांति बनाए रखने की अपील की, लेकिन 'गोरखालैंड' में तनाव के अभी और बढ़ने की आशंका है.
बीजेपी+GJM का गढ़ है दार्जिलिंग
गौरतलब है कि दार्जिलिंग वाला यह पूरा इलाका गोरखा जनमुक्ति मोर्चा और बीजेपी का गढ़ रहा है. जीजेएम एक लंबे समय से बंगाल से अलग गोरखालैंड की मांग को लेकर आंदोलन करती रही है. इसी गोरखालैंड के लिए बिमल गुरंग ने गोरखा जनमुक्ति मोर्चा का गठन किया.
जीजेएम पश्चिम बंगाल में बीजेपी की सहयोगी पार्टी है और निकाय चुनाव भी दोनों ने मिलकर लड़ा था. हाल ही में हुए निकाय चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने पहली बार इस इलाके में अपना खाता खोला और दार्जिलिंग की 32 सीटों में से एक पर जीत हासिल की. हालांकि पश्चिम बंगाल के 7 वार्डों के चुनाव में चार पर तृणमूल कांग्रेस ने जबकि 3 पर जीजेएम और बीजेपी के गठबंधन ने जीत हासिल की.