देश में सभी हवाईअड्डों और अन्य विमानन परियोजनाओं के विकास के लिए तेजी से मंजूरी हासिल करने के लिए नागर विमानन मंत्रालय ने सरल नियमों का ढांचा बनाने का प्रस्ताव रखा है. इस संबंध में मंत्रालय ने एक श्वेत पत्र जारी कर लोगों से राय मांगी है. साथ ही इसमें जैव ईंधन से विमान चलाने और पर्यावरण अनुकूल कदमों को विमानन क्षेत्र में लाने पर भी चर्चा की गई है. मंत्रालय ने ‘राष्ट्रीय हरित विमानन नीति’ शीर्षक से जारी श्वेत पत्र पर लोगों की राय मांगी है.
मंत्रालय ने कहा है कि नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) बायोजेट ईंधन से विमानों के कमर्शियल परिचालन को रोजना के इस्तेमाल में लाने के लिए अन्य सरकारी एजेंसियों के साथ मिलकर काम करेगा.
इसके अलावा डीजीसीए सभी विमानन स्रोतों से निकलने वाले धुएं का आकलन करेगा और देखेगा कि स्थानीय वायु की गुणवत्ता में उनका क्या योगदान है और क्या उसका असर वहां की हवा गुणवत्ता नियमों के अनुसार है या नहीं.
पत्र के अनुसार मंत्रालय एक अनुकूल नियामकीय ढांचा भी बनाएगा जो विभिन्न विमानन परियोजनाओं, नए हवाईअड्डों का विकास या मौजूदा हवाईअड्डों के विस्तार से जुड़ी मंजूरियां देगा.
इसके लिए एक विशेष प्रावधान होगा जहां डीजीसीए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पर्यावरण मंत्रालय, केंद्र और राज्य सरकार की इकाइयों के साथ मिलकर पर्यावरण हितों को ध्यान में रखते हुए विमानन क्षेत्र के विकास से जुड़ी गतिविधियों को तेज करने का काम करेगा.
क्या है डीजीसीए
नागर विमानन महानिदेशालय नागर विमानन मंत्रालय का यह एक सम्बद्ध कार्यालय है जो मुख्यतः सुरक्षा संबंधी विषयों पर कार्यवाई करता है. यह भारत के लिए /से/भारत में भीतर, विमान परिवाहन सेवाओं के नियमानुसार नियंत्रण और सिविल विमान नियंत्रण, विमान सुरक्षा तथा उड़नयोग्यता मानकों के प्रवर्तन के लिए जिम्मेदार है.