वन्य जीव अपराधों की रोकथाम में सुरक्षा बलों की भूमिका विषय पर आयोजित सेमिनार में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल और अन्य वन्य जीव से जुड़े लोगों को वन्यजीव व्यापार के परिमाण के प्रति संवेदनशील बनाने पर चर्चा की गई. इस सेमिनार में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने हिस्सा लिया और इसका उद्देश्य एक दूसरी सुरक्षा एजेंसी में सहयोग की आवश्यकता पर बल देना था.
बता दें कि भारत-नेपाल और भारत-भूटान की सीमा खुली होने की वजह से, वन्यजीव उत्पादों की अवैध तस्करी को बढ़ावा मिलता है. भारत-नेपाल सीमा के घने जंगलों में विभिन्न प्रजातियां है, जिसमें 150 स्तनधारी प्रजातियां, पक्षियों की 650 प्रजातियां, मछली की 200 प्रजातियां, 69 सरीसृप प्रजाति और 19 उभयचर प्रजातियां शामिल हैं. इनमें से ज्यादातर हिम तेंदुए, मस्क हिरण, बाघ, एशियाई हाथी, भारल (हिमालयी नीली भेड़), हिमालयी मोनाल, तीतर और किंग कोबरा जैसी लुप्तप्राय प्रजातियां हैं.
इन सीमाओं में सशस्त्र सीमा बल की तैनाती के बाद, जंगली जीवन और वनजीव अपराध की तस्करी को नियंत्रित किया गया है और काफी संख्या में अपराधियों और तस्करों को गिरफ्तार किया गया है, जिससे वन संसाधन और वन्य जीवन काफी संरक्षित हुई है. सशस्त्र सीमा बल ने अपने कार्य क्षेत्र में कई दुर्लभ प्रजातियों को तस्करी से बचाया है और अनेक वन्य जीव तस्करों को गिरफ्तार भी किया है. साथ ही इस दौरान कई योजनाओं पर विचार किया गया है.
जिसमें वन्यजीव अपराध को रोकने और अपराध की गुंजाइश और कार्यप्रणाली को रोकने के लिए जागरूकता फैलाना, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम और वन अधिनियम के तहत शक्तियां, सीमावर्ती सुरक्षाकर्मियों को बढ़ाना आदि शामिल है.