राफेल पर विपक्ष द्वारा सरकार पर लगातार हो रहे हमले के बीच कई तरह के दावे-प्रतिदावों वाली खबरें मीडिया में आ रही हैं. सोमवार को अंग्रेजी अखबार 'द हिंदू' में छपी एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि केंद्र सरकार ने इस सौदे से एंटी करप्शन क्लॉज जैसी महत्वपूर्ण शर्तों को हटा दिया था. इस पर समाचार एजेंसी ANI में सूत्रों के हवाले से सफाई आई है कि इस सौदे के लिए भारत और फ्रांस सरकार में हुआ समझौता वास्तव में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार द्वारा तय की गई नीतियों के तहत ही हुआ था. उन नीतियों के तहत जो ए.के. एंटनी के रक्षा मंत्री रहने के दौरान लागू की गई थीं.
एएनआई की खबर में सूत्रों के हवाले से दावा किया गया है कि राफेल के लिए दोनों सरकारों में सौदा पूरी तरह से यूपीए सरकार द्वारा 2013 में तैयार स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रॉसीजर या स्टैंडर्ड कॉन्ट्रैक्ट डॉक्यूमेंट में निर्धारित शर्तों के मुताबिक ही हुआ था. गौरतलब है कि अंग्रेजी अखबार 'द हिंदू' की सोमवार को छपी नई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि करीब 7.87 अरब यूरो के राफेल सौदे में भारत सरकार ने कई तरह की अभूतपूर्व रियायतें दीं. अंतर-सरकारी समझौते (IGA) पर दस्तखत के कुछ दिनों पहले ही भ्रष्टाचार निरोधी जुर्माना और एस्क्रो अकाउंट के जरिए भुगतान जैसे महत्वपूर्ण प्रावधानों को हटा दिया गया.
Rafale Deal: Modi Government followed UPA’s policy on inter-government agreements, provisions had come into place when AK Antony was the Defence Minister
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— ANI Digital (@ani_digital) February 11, 2019
यहां पढ़ें अंग्रेजी अखबार में क्या छपा था
इसके बाद एएनआई पर आई खबर के अनुसार, साल 2013 में यूपीए सरकार एक नई नीति लेकर आई थी जिसके तहत रक्षा मंत्रालय को यह छूट दी गई थी कि वह दोस्त देशों के साथ चाहे तो दोनों देशों द्वारा परस्पर तय प्रावधानों के मुताबिक अंतर सरकारी समझौता कर ले और इसके लिए निर्धारित नीति को परे रख दे. एजेंसी द्वारा जारी एक दस्तावेज (जिसे साल 2013 का डिफेंस प्रॉकरमेंट प्रॉसीजर-डीपीपी 2013 बताया जा रहा) में कहा गया है, 'कई ऐसे मौके होते हैं जब दोस्त देशों के साथ भू-सामरिक फायदों के लिए खरीद करना जरूरी हो जाए. ऐसी खरीद में मानक खरीद प्रक्रिया और मानक कॉन्ट्रैक्ट दस्तावेज का पालन करना जरूरी नहीं है और यह दोनों देशों के बीच परस्पर स्वीकार्य प्रावधानों के आधार पर हो सकता है. ऐसी खरीद के लिए सक्षम वित्तीय अथॉरिटी (CFA) से मदद ली जा सकती है.'
डीपीपी 2013 तब लागू किया गया था, जब यूपीए की सरकार थी और रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी थे. राफेल सौदे को लेकर अंग्रेजी अखबार 'द हिंदू' में लगातार ऐसी खबरें छप रही हैं जिनको लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर हो गया है. पिछले हफ्ते छपी ऐसी एक रिपोर्ट में कहा गया था कि रक्षा मंत्रालय की टीम के समानांतर पीएमओ ने इस सौदे के लिए फ्रांस सरकार से बात की थी. सोमवार को अखबार ने फिर एक रिपोर्ट छापी जिसमें यह दावा किया गया है कि इस सौदे के लिए सरकार ने एंटी करप्शन क्लॉज जैसी मानक प्रक्रियाओं को नजरअंदाज किया.