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कैबिनेट ने एक लाख करोड़ रुपये के 'डिजिटल इंडिया' प्रोग्राम को दी मंजूरी

देश को डिजिटल रूप में सशक्त बनाने के लिए केंद्र सरकार ने करीब एक लाख करोड़ रुपये मूल्य की विभिन्न परियोजनाओं वाले कार्यक्रम 'डिजिटल इंडिया' को मंजूरी दे दी है.

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रविशंकर प्रसाद (फाइल फोटो)
रविशंकर प्रसाद (फाइल फोटो)

देश को डिजिटल रूप में सशक्त बनाने के लिए केंद्र सरकार ने करीब एक लाख करोड़ रुपये मूल्य की विभिन्न परियोजनाओं वाले कार्यक्रम 'डिजिटल इंडिया' को मंजूरी दे दी है.

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इस कार्यक्रम में शामिल परियोजना का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि सरकारी सेवाएं नागरिकों को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से उपलब्ध हों और लोगों को नवीनतम सूचना व संचार प्रौद्योगिकी का लाभ मिले.

कैबिनेट की बैठक के बाद दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘7 अगस्त, 2014 को डिजिटल इंडिया प्रोग्राम पर प्रधानमंत्री की बैठक के दौरान कार्यक्रम की डिजाइन पर किए गए प्रमुख निर्णयों के मद्देनजर यह मंजूरी दी गई है. सरकार के हर कोने को छूने वाले इस विस्तृत कार्यक्रम को लेकर सभी मंत्रालयों को संवेदनशील बनाया जाएगा.’

इस कार्यक्रम को चरणबद्ध तरीके से मौजूदा साल से लेकर 2018 तक क्रियान्वित किया जाएगा. 'डिजिटल इंडिया' परियोजना के तहत सरकार का लक्ष्य आईसीटी ढांचे का निर्माण करना है, जिससे ग्राम पंचायत स्तर पर हाई स्पीड इंटरनेट उपलब्ध कराया जा सके. स्वास्थ्य, शिक्षा आदि जैसी सरकारी सेवाएं मांग के अनुरूप उपलब्ध कराई जा सकें और डिजिटल माध्यम से साक्षरता के जरिए नागरिकों को सशक्त बनाया जा सके. इस कार्यक्रम की निगरानी प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली समिति करेगी और आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति परियोजनाओं के लिए मंजूरी प्रदान करेगी.

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एक 'डिजिटल इंडिया' परामर्श समूह का गठन किया जाएगा, जिसकी अध्यक्षता संचार व आईटी मंत्री करेंगे और कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में एक शीर्ष समिति का गठन किया जाएगा. 'डिजिटल इंडिया' पहले से चल रहे राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस प्लान का बदला हुआ रूप है. परियोजना के तहत विकास के क्षेत्रों के तौर पर पहचाने गए 9 स्तंभों पर जोर देने का लक्ष्य है. इन स्तंभों में ब्रॉडबैंड हाइवे, हर जगह मोबाइल कनेक्टिविटी, सार्वजनिक इंटरनेट एक्सेस कार्यक्रम, ई-गवर्नेंस, ई-क्रांति, सभी के लिए सूचना, इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण, नौकरियों के लिए आईटी आदि शामिल हैं.

'डिजिटल इंडिया' कार्यक्रम के तहत केंद्र सरकार के सभी मंत्रालय और विभाग अपनी परियोजनाओं के साथ आएंगे. इनके जरिए जनता तक आईसीटी के इस्तेमाल के जरिये स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा व न्यायिक सेवाएं पहुंचाई जाएंगी. जहां व्यावहारिक होगा, सरकार वहां 'डिजिटल इंडिया' कार्यक्रम के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल को अपनाएगी.

मौजूदा ई-गवर्नेंस परियोजनाओं के अलावा सरकार नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर को भी पुनगर्ठित करेगी, जो सरकारी विभागों में आईटी परियोजनाएं शुरू करने में मदद करेगा. सरकार कम से कम 10 महत्वपूर्ण मंत्रालयों में मुख्य सूचना अधिकारी (सीआईओ) का पद बनाएगी, जिससे विभिन्न ई-गवर्नेंस परियोजनाएं डिजाइन, विकसित और तेजी से क्रियान्वित की जा सकें. इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी विभाग (DEIT) के भीतर आवश्यक वरिष्ठ पदों का सृजन करेगा, जिससे कार्यक्रम का प्रबंधन किया जा सके.

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