इस साल के बजट में घोषित गरीब परिवारों को पांच लाख रुपये का हेल्थ इंश्योरेंस देने वाली नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम यानी आयुष्मान भारत की योजना के लागू होने से पहले ही सरकार ने एक और बड़ी सोशल सिक्योरिटी योजना की तैयारी शुरू कर दी. सरकार चाहती है कि इसके दायरे में 50 करोड़ लोगों को यानी देश की करीब 40 फीसदी आबादी को लाया जाए.
इस योजना के दायरे में सभी असंगठित क्षेत्र के मजदूरों, खेतिहर मजदूरों, छोटे किसानों और कर्मचारियों को लाने की योजना है. इस योजना का खाका तैयार किया है भारत सरकार के श्रम मंत्रालय ने जिसे ड्राफ्ट लेबर कोड ऑन ऑक्यूपेशनल सेफ्टी हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन 2018 का नाम दिया गया है.
इस योजना के बारे में श्रम मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर ड्राफ्ट तैयार करके डाला है जिसमें आम लोगों की राय मांगी गई है. इसके तहत 31 मई तक कोई भी व्यक्ति इस ड्राफ्ट कोर्ट के बारे में अपनी राय और सुझाव सरकार को दे सकता है. इस बारे में सभी सुझाव jk.singh68@nic.in पर दिए जा सकते हैं.
दरअसल, नए लेबर कोड के जरिए केंद्र सरकार देशभर में अलग-अलग क्षेत्र के मजदूरों और कामगारों के लिए राज्य सरकारों और केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही तमाम वेलफेयर योजनाओं को एक जगह समेट कर पूरे देश के लिए एक जैसा कानून बनाना चाहती है जिसके दायरे में सब लोग आएं. ऐसा नेशनल कमीशन ऑन लेबर की सलाह पर किया जा रहा है.
इस समय देश में अलग अलग क्षेत्रों जैसे फैक्ट्री, खदान, प्लांटेशन, बीड़ी मजदूर, मोटर ट्रांसपोर्ट वर्कर के लिए 13 अलग-अलग तरीके के श्रम और जन कल्याण कानून हैं. पहले इन कानूनों के आधार पर राज्य सरकारें इन क्षेत्रों के लिए सेस की वसूली करती थीं जिससे आए पैसे से इन क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के लिए वेलफेयर योजनाएं चलाई जाती थीं. लेकिन जीएसटी लगने के बाद टैक्स के कानून में बदलाव हो गया और ज्यादातर राज्यों में इन योजनाओं के लिए सेस लगना बंद हो गया है.
इसीलिए सरकार अब इन सभी 13 कानूनों को खत्म करके इकट्ठा एक ऐसा कानून लाना चाहती है जिससे देश भर के मजदूरों और कामगारों को एक कानून के दायरे में लाया जा सके और उनके लिए वेलफेयर योजना चलाई जा सके. नई योजना में मजदूरों और कर्मचारियों के लिए कई नई तरह की सुविधाएं जैसे रिटायरमेंट के बाद पेंशन शामिल हैं.
नए श्रम कानून के बारे में श्रम मंत्रालय ने हाल में ही पीएमओ में प्रेजेंटेशन दिया था जिसमें इस योजना को कैसे लागू किया जाए इसके बारे में विस्तार से बताया गया. श्रम मंत्रालय की योजना है कि नए कानून के तहत वेलफेयर की योजनाओं को पहले गरीब मजदूरों और किसानों के लिए लागू किया जाए और बाद में उसका दायरा बढ़ाया जाए.
सरकार इस बात का भी आकलन कर रही है कि इस योजना का दायरा बढ़ाने से सरकारी खजाने पर कितना अतिरिक्त खर्च आएगा. सूत्रों के मुताबिक सरकार चाहेगी कि 2019 चुनाव के पहले इस योजना को सोशल वेलफेयर स्कीम की तरह से लागू करने की शुरुआत कर दी जाए ताकि चुनाव के दौरान इसके बारे में लोगों को बता कर इसका फायदा लिया जा सके. अगर चुनाव से पहले यह लागू हो सका तो आयुष्मान भारत के अलावा यह करोड़ों देशवासियों को प्रभावित करने वाली दूसरी बड़ी जन कल्याण की योजना होगी.
लेकिन श्रम मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक अभी यह योजना बिल्कुल प्रारंभिक चरण में है. श्रम मंत्रालय की वेबसाइट पर जब लोगों के सलाह और राय आ जाएगी उसके बाद राज्य सरकारों से और तमाम कर्मचारियों और मजदूरों के यूनियन से इसके बारे में बैठक कर राय मशवरा किया जाएगा.
राज्य सरकारों के साथ यह तय करना होगा कि जब यह योजना लागू की जाती है तो उसका कितना खर्च केंद्र सरकार उठाएगी और कितना खर्च राज्य सरकारें. उसके बाद सभी के सुझावों को शामिल करके कैबिनेट नोट तैयार किया जाएगा और फिर किसे कैबिनेट में मंजूरी के लिए लाया जाएगा. लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव की गहमागहमी शुरू हो चुकी है और सरकार कोशिश करेगी कि जल्दी से जल्दी इस योजना को लागू किया जा सके.