किश्तवाड़ हिंसा के बाद जम्मू-कश्मीर में पैदा हुई तनावपूर्ण स्थिति को लेकर चौतरफा हमले से घिरी केंद्र सरकार ने दावा किया है कि सेना की मदद से स्थिति पर नियंत्रण पा लिया गया है. धीरे-धीरे हालात सुधर रहे हैं. गौरतलब है कि शुक्रवार को शुरू हुई हिंसा में अब तक तीन लोगों की मौत हो गई है.
हिंसा पर सरकार का पक्ष रखते हुए राज्यसभा में पी चिदंबरम ने कहा, 'ईद के दिन 10:30 बजे लोगों ने जुलूस निकाला. जुलूस में देश विरोधी नारे लगाए गए. जम्मू-कश्मीर में ये कोई नई बात नहीं थी. अचानक ही दो गुटों के बीच पत्थरबाजी शुरू हो गई. धीरे-धीरे हिंसा पूरे शहर में फैल गई. उस दिन दोनों गुटों के एक-एक लोग की मौत हुई थी. दोपहर बाद सेना ने मोर्चा संभाल लिया था. हालात पर काबू पाने के लिए करीब शाम 5 बजे सेना ने फ्लैग मार्च निकाला. सेना को बुलाए जाने के बाद से किश्तवाड़ इलाके में कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है. सभी इलाकों में कर्फ्यू लगाया गया है.'
पी चिदंबरम ने कहा, 'हम सभी भारतीय हैं. इस घटना में कुल तीन भारतीयों की जान गई है. यह बेहद ही दुखद बात है.'
उन्होंने कहा, 'जम्मू इलाके के 10 में से 8 जिलों में कर्फ्यू लगाया गया है. एहतियात के तौर पर इन इलाकों में सेना को भी बुला लिया गया है. वहीं किश्तवाड़ में लगातार चौथे दिन सेना बनी हुई है.'
रविवार को बीजेपी नेता अरुण जेटली को एयरपोर्ट पर ही रोके जाने पर उन्होंने कहा, 'जिला प्रशासन का मानना था कि राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष के दौरे के लिए यह सही वक्त नहीं है. इसमे कुछ भी गलत नहीं है. घटना स्थल की स्थिति का असली जानकारी को राज्य को ही होती है. एक बार हालात सामान्य हो जाते हैं तो जम्मू-कश्मीर सरकार सभी नेताओं को इलाके का दौरा करने देगी.'
पी चिदंबरम ने कहा, 'धारा 144 लगाने का फैसला जिला प्रशासन का होता है. इसमें धर्म या जाति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होता. जहां तक राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने की बात तो है तो केंद्र राज्य सरकार की हरसंभव मदद करेगी. मैं इस सदन को भरोसा देता हूं कि 1990 नहीं दोहराया जाएगा.'
पी चिदंबरम ने सदन को भरोसा दिया कि केंद्र इसका पूरा ध्यान रखेगी कि इस मसले की विश्वसनीय न्यायिक जांच हो. गौरतलब है कि राज्य सरकार ने पहले ही न्यायिक जांत के आदेश दे दिए हैं.