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दूसरे दिन भी काटजू के दावों पर हल्‍ला, कानून मंत्री बोले- जजों की नियुक्ति को बनेगा आयोग

न्यायपालिका में भ्रष्टाचार पर रिटायर जस्टिस मार्कंडेय काटजू के खुलासे को लेकर आज लगातार दूसरे दिन संसद में सियासी घमासान देखने को मिला. केंद्र सरकार ने मंगलवार को जस्टिस काटजू के दावों को सही ठहराते हुए पिछली यूपीए सरकार पर गंभीर सवाल उठाए.  

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मार्कंडेय काटजू के दावों पर सियासी घमासान
मार्कंडेय काटजू के दावों पर सियासी घमासान

न्यायपालिका में भ्रष्टाचार पर रिटायर जस्टिस मार्कंडेय काटजू के खुलासे को लेकर आज लगातार दूसरे दिन संसद में सियासी घमासान देखने को मिला. केंद्र सरकार ने मंगलवार को जस्टिस काटजू के दावों को सही ठहराते हुए पिछली यूपीए सरकार पर गंभीर सवाल उठाए.

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राज्यसभा में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि जून 2006 में पीएमओ ने सुप्रीम कोर्ट के जजों के कॉलेजियम को उस जज के नाम पर विचार करने को कहा था, जिसका जिक्र काटजू ने अपने खुलासे में किया है. शुरुआत में जज के नाम पर कॉलेजियम के नहीं राजी होने पर कानून मंत्रालय ने भी इस संबंध में नोट भेजा था.

सरकार ने यह भी माना है कि देश में जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया में सुधार करने की जरूरत है. कानून मंत्री ने कहा, 'जज की नियुक्ति के लिए कड़े बदलाव करने की जरूरत है. उसके लिए हमारी सरकार राष्ट्रीय न्यायिक आयोग के गठन पर गंभीरता से विचार कर रही है.'

हालांकि रविशंकर प्रसाद के इस बयान पर सदन में जोरदार हुआ. कांग्रेस ने कहा कि जजों के आचरण पर संसद में बहस नहीं हो सकती.

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भ्रष्टाचारी को बनाया गया था मद्रास हाई कोर्ट का एडिशनल जजः काटजू
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने दावा किया था कि तमिलनाडु के एक जिला अदालत के जज पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप होने के बावजूद उसे मद्रास हाई कोर्ट का एडिशनल जज बनाया गया. मार्कंडेय काटजू ने मनमोहन सिंह और उनकी सरकार पर भी भ्रष्ट जज को बचाने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के तीन चीफ जस्टिस पर भी भ्रष्टाचार को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं. काटजू ने कहा कि मनमोहन सिंह ने अपनी सरकार बचाने के लिए एक भ्रष्ट शख्स को मद्रास हाई कोर्ट का एडिशनल जज बने रहने दिया. चीफ जस्टिस आरसी लाहोटी ने इसके खिलाफ आवाज नहीं उठाई और सरकार की बात को मान लिया.

खुलासों पर मचे सियासी बवाल के बाद मंगलवार को जस्टिस काटजू ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस आरएस लाहोटी से 6 सवाल पूछे हैं. उन्होंने ये सवाल अपने ब्लॉग में लिखे...
1. क्या ये सच नहीं है कि मैंने चेन्नई से आपको पत्र लिखकर जानकारी दी थी कि मद्रास हाईकोर्ट के एडिशनल जज के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर मामले हैं.
2. जस्टिस लाहोटी, क्या ये सच नहीं है कि मैंने उस जज के बारे में आईबी जांच के लिए आपसे सिफारिश की थी?
3. क्या ये सच नहीं है कि आपने खुद मुझे फोन करके बताया था कि आईबी जांच में मेरे आरोप सही पाए गए?
4. क्या ये सच नहीं है कि आईबी रिपोर्ट के बाद आप समेत सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बैठक हुई थी?
5. जस्टिस लाहोटी, क्या ये सच नहीं है कि आपने एडिशनल जज को एक साल के एक्सटेंशन के लिए भारत सरकार को पत्र लिखा?
6. आईबी की रिपोर्ट में साफ हो गया था कि एडिशनल जज भ्रष्टाचार में लिप्त हैं तो फिर उनके एक्सटेंशन के लिए क्यों सिफारिश की गई?

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