सुप्रीम कोर्ट के बाद दागी नेताओं को सरकार से भी झटका लगा है. केंद्र सरकार ने लोक प्रतिनिधित्व (दूसरा संशोधन और विधि मान्यकरण) विधेयक 2013 को स्टैंडिंग कमिटी के पास भेज दिया है.
गौरतलब है कि इस विधेयक के तहत सजा पाने के बाद भी सांसद−विधायक पद पर बने रहेंगे, हालांकि सदन में वोट नहीं दे पाएंगे, सैलरी नहीं मिलेगी.
सरकार के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट के आदेश से जोड़कर देखा जा रहा है. आपको बता दें कि कोर्ट ने 4 सितंबर को सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें सजायाफ्ता नेताओं के चुनाव लड़ने पर पाबंदी वाले फैसले पर फिर से विचार करने की अपील की गई थी.
सरकार का यह फैसला आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के लिए झटका है, जिनके खिलाफ चारा घोटाला के एक मामले में जल्द ही फैसला आने वाला है.
क्या है संशोधन
जन प्रतिनिधि कानून में संशोधन के लिए लाये गये इस विधेयक में स्पष्ट किया गया है कि दोषी ठहराये जाने के बाद कोई सांसद या विधायक को अयोग्य नहीं करार दिया जा सकता बशर्ते कि उनकी अपील अदालत के सामने लंबित हो और फैसले पर स्थगनादेश दिया गया हो.