करीब साढ़े चार साल जेल में बिताने के बाद शनिवार को रिहा किए गए कट्टरपंथी अलगाववादी नेता मसरत आलम ने रविवार को कहा कि पीडीपी-बीजेपी सरकार ने उस पर कोई एहसान नहीं किया क्योंकि सामान्य न्यायिक प्रक्रिया के तहत उसकी रिहाई हुई है.
आलम ने कहा कि संबंधित अदालतों से जमानत मिलने के बाद भी उन्हें बार-बार पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत हिरासत में रखा गया. अपनी रिहाई से जुड़े विवाद पर मुस्लिम लीग के नेता ने कहा, 'अगर मेरी रिहाई पर कोई हंगामा मचा रहा है तो यह उसका सिर दर्द है.'
यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी रिहाई अलगाववादियों और सरकार के बीच वार्ता की बहाली का संकेत है, आलम ने कहा कि हुर्रियत कांफ्रेंस इस पर कोई फैसला करेगी. उनके मुताबिक, 'हम (मुस्लिम लीग) फोरम (हुर्रियत कांफ्रेंस) का हिस्सा हैं. वार्ता पर फोरम जो भी फैसला करेगी, मैं उसे मानूंगा.'
मसरत अलम को अक्टूबर 2010 में गिरफ्तार किया गया था. आलम ने इस आरोप को खारिज किया कि रिहाई के मुद्दे पर उनके और राज्य सरकार के बीच कोई समझौता हुआ है और इससे केंद्र एवं अलगाववादियों के बीच वार्ता शुरू हो सकती है. उन्होंने पूछा, मेरी रिहाई में बड़ी बात क्या है? मैं पिछले 20 साल से जेल आता-जाता रहा हूं. मेरी रिहाई में नया क्या है?
-इनपुट भाषा से