असम हिंसा के बाद इंटरनेट पर सांप्रदायिक तौर पर संवदेनशील सामग्री का इस्तेमाल कर देश का माहौल बिगाड़ने पर वाली ताकतों पर सरकार नकेल कसने की तैयारी कर रही है. सरकार इस साइबर खतरे से निपटने के लिए एक साइबर सुरक्षा समन्वयक की नियुक्ति पर विचार कर रही है, जो संवदेनशील सामग्री पर रोक लगाने का काम करेगी.
सरकारी सूत्रों की मानें तो यह साइबर सुरक्षा समन्वय सेल, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय का हिस्सा होगी.
हालांकि एनएएम सम्मेलन के दौरान पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की मुलाकात में इस मुद्दे पर चर्चा होने के आसार कम ही हैं. गौरतलब है कि इंटरनेट पर नफरत फैलाने वाले ईमेलों का 26-28 फीसद हिस्सा पाकिस्तान से भेजा गया था.
असम में हुई हिंसा और उस दौरान सांप्रदायिक भावनाएं भड़काने के लिए इंटरनेट के गलत इस्तेमाल पर काबू पाने के लिए सरकार पुरजोर कोशिश में लगी हुई है. हालांकि सरकारी सूत्रों ने यह साफ किया है कि पाकिस्तान के साथ यह मुद्दा सही मंच पर उठाया जाएगा न कि मनमोहन सिंह और आसिफ अली जरदारी की मुलाकात के दौरान.
सूत्रों का कहना है कि जिस रफ्तार से संवेदनशील तस्वीरों और मैसेजों को वितरण किया गया और इसके प्रभाव ने सरकार को इससे निपटने के लिए और अधिक तरीकों के बारे में सोचने पर बाधित किया है. सरकार इस समस्या से निपटने के प्रभावी तरीके निकालने के साथ इस प्रकार के आतंक की प्रकृति को समझने की कोशिश कर रही है.
असम हिंसा के मद्देनजर मुंबई में जो हुआ उसकी पुनरावृत्ति पर रोक लगाने के लिए सरकार इंटरनेट पर अधिक से अधिक फिल्टर लगाने पर विचार कर रही है.
सूत्रों ने कहा कि इंटरनेट एक देश विशेष का नहीं है. और जब इस पर जानकारी उपलब्ध होती है तो हम इंटरनेट सेवा प्रदाताओं और वेबसाइटों को ऐसी सामग्री हटाने का निर्देश दे देते हैं, और अधिक मामलों में हमें सहयोग मिल भी रहा है.
वहीं आतंकवाद के मुद्दे पर भारत एक बार फिर पाकिस्तान को घेरने की कोशिश करेगा. सूत्रों ने कहा कि सिर्फ बातचीत से आतंकवाद खत्म नहीं होगा इसके लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है.
उम्मीद की जा रही है कि जरदारी से होने वाली मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री 26/11 मुंबई हमलों के गुनाहगारों को सजा दिलाने के लिए पाकिस्तानी सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में पूछेंगे.
गौरतलब है कि भारत 26/11 हमले की तुलना समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट से किए जाने के खिलाफ है साथ ही पाकिस्तान उस बयान के भी जिसमें वह खुद और भारत को आतंकवाद के शिकार होने की बात करता है.