पुलिस द्वारा मामलों को दर्ज नहीं करने की लोगों की ओर से बार-बार शिकायतें मिलने के बाद गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को एक परिपत्र जारी करने का फैसला किया है जिसमें उनसे इस बात को सुनिश्चित करने को कहा जाएगा कि थानों को मिलने वाली सभी शिकायतों को प्राथमिकी के तौर पर समझा जाए.
गृह मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि यह परिपत्र अगले हफ्ते जारी किया जाना है. परिपत्र में राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश दिया जाएगा कि वे सभी शिकायतों का प्राथमिकी के तौर पर पंजीकरण सुनिश्चित करें. यह कदम लोगों की ओर से बार-बार शिकायत मिलने के बाद उठाया गया है. लोग अक्सर शिकायत करते हैं कि पुलिस अक्सर शिकायत दर्ज करने के मामले में टाल-मटोल की रणनीति अपनाती है और किसी शिकायत पर तत्काल प्राथमिकी दर्ज करने से अनिच्छा जताती है.
इस परिपत्र का उद्देश्य है कि अगर कोई शिकायत झूठी भी हो तो भी पुलिस को प्राथमिकी दर्ज कर उसकी जांच करनी है. एक अधिकारी ने बताया, ‘‘अगर शिकायत गलत पाई जाती है तो पुलिस प्राथमिकी हटा सकती है. लेकिन इसे सही शिकायतों को प्राथमिकी के तौर पर दर्ज करने में बाधक नहीं होना चाहिए.’’
यह कदम रुचिका गिरहोत्रा के परिवार की ओर से यह आरोप लगाए जाने के बाद उठाया गया है जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि जब उन्होंने हरियाणा के पूर्व डीजीपी एस पी एस राठौर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई तो पुलिस ने शुरुआत में प्राथमिकी दर्ज करने से इनकार कर दिया था.
पुलिस ने तब भी प्राथमिकी दर्ज करने से इनकार कर दिया था जब रुचिका के भाई को गलत आरोपों को लेकर पुलिस ने प्रताड़ित किया था. सीआरपीसी में प्रस्तावित संशोधन के जरिए सरकार थाना प्रभारी के लिए किसी भी शिकायत के मिलने के बाद मामला दर्ज किए जाने और मामला दर्ज नहीं किए जाने का कारण बताना अनिवार्य बनाना चाहती है.