ऊंची मुद्रास्फीति का आम लोगों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है और इस स्थिति से निपटने के लिए वह विभिन्न उपायों पर विचार कर रही है जिसमें ‘किसानों की मंडियों’ और ‘सचल बाजार’ खोलने जैसी योजनायें शामिल हैं."/> ऊंची मुद्रास्फीति का आम लोगों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है और इस स्थिति से निपटने के लिए वह विभिन्न उपायों पर विचार कर रही है जिसमें ‘किसानों की मंडियों’ और ‘सचल बाजार’ खोलने जैसी योजनायें शामिल हैं."/> ऊंची मुद्रास्फीति का आम लोगों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है और इस स्थिति से निपटने के लिए वह विभिन्न उपायों पर विचार कर रही है जिसमें ‘किसानों की मंडियों’ और ‘सचल बाजार’ खोलने जैसी योजनायें शामिल हैं."/>
सरकार ने कहा है कि खाद्य वस्तुओं की ऊंची मुद्रास्फीति का आम लोगों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है और इस स्थिति से निपटने के लिए वह विभिन्न उपायों पर विचार कर रही है जिसमें ‘किसानों की मंडियों’ और ‘सचल बाजार’ खोलने जैसी योजनायें शामिल हैं.
वित्त राज्यमंत्री नमो नारायण मीणा ने एक लिखित उत्तर में राज्यसभा को बताया कि सरकार जिन कुछ कदमों को उठाने का इरादा रखती है उनमें किसानों की मंडी और सचल बाजार स्थापित करना, कंप्यूटरीकरण के जरिये सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सुदृढ़ बनाना और देश भर में अधिक खरीद केन्द्रों को स्थापित करना शामिल है.
उन्होंने कहा कि सरकार कृषि उत्पाद विपणन समिति (एपीएमसी) कानून की समीक्षा कराना चाहती है. जिसका उद्देश्य बागवानी उत्पादों को इससे छूट दे कर इनके विपणन और वितरण में अड़चने दूर करना है. एक अलग लिखित उत्तर में मीणा ने कहा कि फलों और सब्जियों की मुद्रास्फीति दिसंबर 2010 में 22.7 प्रतिशत रही.