बापू के नाम पर सरकार सच्चाई से मुंह छिपा रही है. पर्यटन मंत्री अंबिका सोनी कहती है कि सरकार ने ही विजय माल्या को बापू की धरोहर की नीलामी में शामिल होने को कहा था. जबकि माल्या कहते हैं कि ऐसा कुछ हुआ ही नहीं.
भारत सरकार के तमाम दावों के बावजूद राष्ट्रपिता की निजी चीजें नीलाम पर चढ़ ही गईं. बस शुक्र है तो इतना कि सबसे ऊंची बोली लगाने वाला शख्स एक भारतीय ही था. गांधी जी की नीलाम की गई सारी चीजों को यूबी ग्रुप के मालिक विजय माल्या ने खरीद ली लेकिन विजय माल्या की सबसे ऊंची बोली को सरकार अपनी कामयाबी करार देने में जुट गई.
पर्यटन मंत्री अंबिका सोनी ने कहा कि भारत सरकार ने विजय माल्या को नीलामी में शामिल होने के लिए आधिकारिक रूप से चुना था.
अंबिका सोनी की यह बात विजय माल्या को रास नहीं आई. उन्होंने इस बात को सरासर गलत करार दिया. माल्या ने कहा कि गांधी जी की चीजों को खरीदने के लिए सरकार ने उनसे संपर्क नहीं किया था. विजय माल्या ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रपिता की चीजों को नीलामी में अपने बूते खरीदा है और सरकार का इससे कोई लेनादेना नहीं है. हां, वो इन चीजों को सरकार को जरूर सौंपना चाहते हैं.
माल्या ने इससे पहले भी नीलामी में राष्ट्रीय धरोहरों को दूसरे मुल्क के हाथ लगने से रोका है. थोड़े दिनों पहले उन्होंने नीलामी में टीपू सुल्तान की तलवार को भी खरीदा था. लेकिन इस बार माल्या की जीत का सेहरा सरकार अपने सिर पर बांधने को उतावली दिखाई दे रही है और ये बात माल्या को मंजूर नहीं.