पुराने नोटों पर अध्यादेश को बुधवार को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है. इसके तहत 31 मार्च के बाद किसी के पास एक सीमा से ज्यादा पुराने 500 और 1,000 का नोट पाए जाने पर चार साल तक की जेल हो सकती है. इसके साथ ही पुराने नोटों में लेन-देन करने पर 5000 रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है.
यही नहीं, सरकार और रिजर्व बैंक की इन नोटों के धारकों को उनके नोट का मूल्य देने का वादा करने वाली देनदारी भी समाप्त हो जाएगी. वैसे तो पुराने नोट 30 दिसंबर के बाद ही बैंकों में नहीं लिए जाएंगे, लेकिन इन्हें 31 मार्च तक रिजर्व बैंक में जमा किया जा सकेगा. सूत्रों के अनुसार दस से ज्यादा पुराने नोट रखने वालों को सजा दी जा सकती है. सूत्रों ने बताया कि यदि कोई व्यक्ति 30 दिसंबर के बाद पुराना नोट रिजर्व बैंक के पास जमा करता है तो उसे यह घोषणापत्र देना पड़ेगा कि उसने तय समय-सीमा तक यह नोट क्यों नहीं जमा किए. यदि कोई व्यक्ति 31 मार्च की अवधि तक खुद रिजर्व बैंक जाने में सक्षम नहीं है तो वह डाक से पुराने नोट भेज सकता है, लेकिन उसे भी यह वजह घोषणापत्र के रूप में बतानी होगी कि उसने नोट समय-सीमा के भीतर क्यों नहीं जमा किए.
इस अध्यादेश का नाम है- The Specified Bank Notes Cessation of Liabilities Ordinance.
खबरों के अनुसार पुराने नोट रखने की सीमा 10 हजार तक रखी जा सकती है, इस नियम का उल्लंघन करने पर 50,000 रपये अधिकतम या जितनी राशि मिलेगी उसका पांच गुना जुर्माना जो भी ज्यादा हो लगाया जा सकता है. सूत्रों ने कहा कि ऐसे नोट रखने वाले इन्हें 31 मार्च तक रिजर्व बैंक में जमा करा सकते हैं. हालांकि, इस अवधि को भी घटाया जा सकता है.
इससे पहले 1978 में मोरारजी देसाई की जनता पार्टी सरकार ने 1,000, 5000 और 10,000 का नोट बंद करने के बाद सरकार की देनदारी को समाप्त के लिए इसी तरह का अध्यादेश लाया गया था.