सरकार हिंसा का परित्याग करने वाले माओवादियों को नकद ईनाम देने जा रही है. केंद्र ने माओवाद प्रभावित प्रदेशों से ऐसी ही नीतियां बनाने को कहा है, जैसी केंद्र ने लगभग एक साल पहले घोषित की थी. इस नीति के तहत ऐसे नक्सलियों को लगभग दो लाख रुपये का पैकेज देने की घोषणा की गई थी, जो हथियारों का परित्याग कर हिंसा का मार्ग छोड़ दें.
केंद्र सरकार की इस नीति के तहत आत्मसमर्पण करने वाले हर नक्सली को तात्कालिक तौर पर 1.5 लाख रुपये का ईनाम, लगभग तीन साल तक के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण के दौरान 3,000 रुपये का मासिक वेतन और हथियार सौंपने पर भी ईनाम दिए जाने की बात है.
नीति के तहत जो नक्सली आत्मसमर्पण करेंगे, उनके नाम पर बैंक में 1.5 लाख रुपये जमा कराए जाएंगे, जिसे वे तीन साल का समय पूरा होने के बाद निकाल सकते हैं. यह उनके अच्छे व्यवहार के आधार पर हो सकेगा, जिसका अधिकारी प्रमाणपत्र देंगे.
गृह मंत्रालय ने सभी नक्सल प्रभावित राज्यों से कहा है कि वे प्रदेशों में माओवादियों के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष के साथ गरीबी और आर्थिक समस्याओं की ओर भी ध्यान दें, जिनके चलते ज्यादातर युवा नक्सलियों की विचारधारा की ओर झुकते हैं.
एक अधिकारी ने कहा ‘एक अच्छी और प्रभावी आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति निश्चित तौर पर बहुत से माओवादियों को हिंसा छोड़ने और आत्ममसर्पण करने के लिए प्रेरित करेगी, इसलिए प्रत्येक प्रदेश के लिए जरूरी है कि वह इस नीति को अपनाए.’ माओवाद प्रभावित प्रदेशों से कहा गया है कि वे केंद्र सरकार और पूर्वोत्तर के प्रदेशों की आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीतियों को देखें.
गृह मंत्रालय ने हथियारों के आत्मसमर्पण करने वालों के लिए भी ईनाम देने की घोषणा की है, जिसके तहत एक एके-47, एके-56 और एके-74 राइफल जमा करने पर 15,000 रुपये दिए जाएंगे.
प्रत्येक स्निपर या आरपीजी राइफल के आत्मसमर्पण पर 25,000 रुपये, एक पिस्तौल या रिवॉल्वर पर 3,000 रुपये, रॉकेट पर 1,000 रुपये, एक रिमोट कंट्रोल डिवाइस पर 3,000 रुपये, आईईडी पर 1,000 रुपये, एक माइन पर 1,000 रुपये, एसएएम मिसाइल पर 20,000 रुपये और सेटेलाइट फोन पर 10,000 रुपये दिए जाएंगे.
ये दिशानिर्देश उन नक्सलियों पर लागू होंगे, जो हथियारों या हथियारों के बिना आत्मसमर्पण करेंगे.
अधिकारी ने कहा ‘हालांकि केंद्र सरकार ने यह नीति एक साल पहले घोषित की थी, लेकिन इसका बहुत कम प्रचार हुआ है. इसलिए, हम प्रदेशों से नीति बनाने और उसका प्रचार करने को कह रहे हैं, ताकि यह संदेश माओवादियों तक पहुंचे.’