scorecardresearch
 

नक्सली हिंसा त्यागें तो सरकार बातचीत के लिए तैयार: चिदम्बरम

गृह मंत्री पी चिदम्बरम ने बुधवार को कहा कि जब तक नक्सली समूह हिंसा नहीं त्यागेंगे, तब तक उनके साथ बातचीत नहीं की जा सकती.

Advertisement
X

गृह मंत्री पी चिदम्बरम ने बुधवार को कहा कि जब तक नक्सली समूह हिंसा नहीं त्यागेंगे, तब तक उनके साथ बातचीत नहीं की जा सकती.
राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान चिदम्बरम ने कहा ‘‘नक्सली जब तक हिंसा नहीं त्यागेंगे, तब तक मुझे नहीं लगता कि उनके साथ बातचीत की कोई गुंजाइश है.’’

उन्होंने राहुल बजाज के पूरक प्रश्न के जवाब में कहा ‘‘अगर नक्सली समूह हिंसा त्याग दें तो सरकार उनके साथ बातचीत करने की इच्छुक है. मैंने नक्सलियों को हिंसा त्यागने की स्थिति में उनके साथ बातचीत की पेशकश की है.’’ गृह मंत्री ने कहा ‘‘हम विकास, प्रशासन, ढांचागत सुविधाओं से लेकर किसी भी मुद्दे पर उनके साथ बातचीत कर सकते हैं लेकिन पहले उन्हें हिंसा त्यागनी होगी.’’ उन्होंने बताया कि कुछ सामाजिक संगठनों ने संकेत दिया था कि वह नक्सली समूहों के साथ बातचीत के लिए मदद कर सकते हैं लेकिन अब तक कोई ठोस प्रस्ताव नहीं मिला है.

गृह मंत्री ने कहा ‘‘हम नक्सली समूहों के साथ बातचीत करना चाहते हैं. लेकिन शर्त यही है कि उन्हें हिंसा त्यागना होगा. मैंने कहा है कि अगर वे हिंसा त्याग दें तो मैं 72 घंटे के अंदर जवाब दूंगा.’’ गृह मंत्री ने बताया कि फिलहाल नक्सली समूहों के साथ किसी तरह की बातचीत नहीं चल रही है. उन्होंने बताया कि आंध्र प्रदेश सरकार ने नक्सलियों के साथ बातचीत का प्रयास किया था जो नाकाम रहा. चिदम्बरम ने बताया कि वर्ष 2004 में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्‍सवादी लेनिनवादी) और माओइस्ट कम्युनिस्ट सेंटर का विलय होने के बाद कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) बनाई गई और तब से नक्सली हिंसा में वृद्धि हुई है.

गृह राज्य मंत्री अजय माकन ने बताया ‘‘नक्सली हिंसा के 90 फीसदी मामलों के पीछे सीपीआई (माओवादी) है और यह समूह अपना प्रसार कर रहा है और खुद को मजबूत बना रहा है. यह ठेकेदारों और उद्योगपतियों से लेवी, जबरन वसूली कर या बैंक लूट कर धन उगाह रहा है.’’ माकन ने बताया ‘‘सीपीआई (माओवादी) सुरक्षा बलों को लूट कर हथियार और गोलाबारूद जुटा रहे हैं और खरीद भी रहे हैं.’’ उन्होंने बताया कि सरकार ने नक्सल प्रभावित जिलों में विकास के लिए बहुआयामी रणनीति अपनाई है. इन जिलों में ढांचागत सुविधाओं के विकास के लिए 7,300 करोड़ रुपयों की स्वीकृति दी जा चुकी है और केंद्र सरकार स्कूलों तथा छात्रावासों के निर्माण के लिए अनुदान मुहैया करा रही है.

Advertisement
Advertisement