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नकदी की तंगी दूर करने के लिये सरकार खर्च करेः रिजर्व बैंक

रिजर्व बैंक ने कहा है कि बैंकिंग तंत्र में नकदी की तंगी दूर करने के लिये सरकार को वर्ष की इस अंतिम तिमाही में हाथ खोल कर खर्च करना चाहिये.

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रिजर्व बैंक ने कहा है कि बैंकिंग तंत्र में नकदी की तंगी दूर करने के लिये सरकार को वर्ष की इस अंतिम तिमाही में हाथ खोल कर खर्च करना चाहिये.

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रिजर्व बैंक की यहां जारी वृहत आर्थिक परिवेश की समीक्षा रिपोर्ट में कहा गया है, ‘यह उम्मीद की जाती है कि सरकार अपनी वाषिर्क व्यय प्रतिबद्धता पूरी करने के लिये वर्ष की इस अंतिम तिमाही में खर्च बढायेगी.’

उल्लेखनीय है कि कैलेंडर वर्ष 2010 की समाप्ति के समय नकदी की स्थिति काफी तंग हो गई थी. स्थिति यह हो गई थी कि दिसंबर 2010 को सरकारी खजाने में अधिशेष की स्थिति बढकर 1,44,437 करोड रुपये तक पहुंच गई थी जबकि एक महीना पहले नवंबर 2010 में यह 93,425 करोड रुपये थी.

रिजर्व बैंक को स्थिति का सामना करने के लिये नये प्रावधान करने पड़े और बैंकों को वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) में कुछ रियायतें देनी पड़ीं.

केन्द्रीय बैंक ने कहा है कि वर्ष की इस अंतिम तिमाही (जनवरी से मार्च 2011) में जैसे ही सरकार अपनी बजट प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिये खर्च करना शुरु करेगी नकदी की तंगी दूर होने लगेगी.

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नकदी की तंगी बढने से बैंकों में ज्यादा से ज्यादा जमा पूंजी जुटाने के लिये प्रतिस्पर्धा शुरु हो गई और उन्होंने उंची ब्याज दर नई जमा योजनायें जारी करनी शुरु कर दी.

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