INX मीडिया के विदेशी निवेश प्रस्ताव को मंजूरी देने के मामले में रिश्वत के आरोपों का सामना कर रहे पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने अपनी सफाई पेश की है. बयान जारी कर चिदंबरम ने कहा कि निवेश प्रस्तावों को मंजूरी में प्रक्रिया का पालन किया गया.
चिदंबरम की सफाई-
-FIPB की मंजूरी हजारों मामलों में दी गई. ये मंजूरियां FIPB बोर्ड में शामिल पांच सचिवों की ओर से दी जाती है. उनमें से किसी के ऊपर कोई आरोप नहीं है. मेरे ऊपर भी कोई आरोप नहीं है.
-सभी मामलों में फैसला कानून के अनुसार किए गए. मंजूरी और खारिज करने के फैसलों में इनके अनुसार ही काम किया गया. ये फैसले भारत सरकार के पांच सचिवों की सदस्यता वाली FIPB बोर्ड की ओर से की जाती हैं. इन्हीं सिफारिशों के आधार पर काम हुआ.
- ये सरकार मुझे, मेरे बेटे और मेरे मित्रों को टारगेट करने के लिए सीबीआई और अन्य एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है.
-सरकार मेरी आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है. मैं इस सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज मुखर करता हूं. विपक्षी नेताओं, पत्रकारों, स्तंभकारों, एनजीओ, सिविल सोसाइटी के ऐसे लोगों को ये सरकार घेरना चाहती है जो उनकी नीतियों पर सवाल खड़े करते हैं.
-मैं इस सरकार के खिलाफ लिखना और बोलना जारी रखूंगा.
क्या है FIPB की मंजूरी की प्रक्रिया..
भारत में लालफीताशाही को खत्म करने और निवेश की प्रक्रिया को आसान करने के लिए केंद्र सरकार ने FIPB यानी विदेशी निवेश प्रोमोशन बोर्ड का गठन किया था. इसे विदेशी निवेश को मंजूरी का सिंगल विंडो सिस्टम बताया गया. इसमें भारत सरकार के पांच प्रमुख विभागों के सचिव सदस्य होते हैं. विदेशी निवेश के हर प्रस्ताव पर ये कमेटी अपनी सिफारिश करती है और इसी के आधार पर प्रस्तावों को मंजूरी दी जाती है. 90 के दशक में विभिन्न विभागों से निवेश के प्रस्तावों को मंजूरी में देरी को विकास के रास्ते में बाधा माना जाता था. FIPB का कदम इसी का हल बताया जा रहा था.