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पाकिस्तान-बांग्लादेश से आने वाले हिंदू शरणार्थियों को मान्यता देने की तैयारी में मोदी सरकार!

असम विधानसभा चुनावों से पहले नरेंद्र मोदी सरकार ने पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए हिंदुओं और सिखों को कानूनी मान्यता देने की तैयारी कर ली है.

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Amit Shah
Amit Shah

असम विधानसभा चुनावों से पहले नरेंद्र मोदी सरकार ने पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए हिंदुओं और सिखों को कानूनी मान्यता देने की तैयारी कर ली है.

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अंग्रेजी वेबसाइट 'एनडीटीवी' ने सूत्रों के हवाले से यह खबर छापी है कि केंद्र सरकार पाकिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले उन धार्मिक अल्पसंख्यकों की मदद करना चाहती है जो भारत में आकर बसना चाहते हैं. खबर है कि सरकार उनके लिए यहां रहने की इजाजत देने के संबंध में आदेश भी जारी कर सकती है.

PMO की पहल पर लिया जा सकता है फैसला
सरकार का यह फैसला पड़ोसी देशों से आए लाखों शरणार्थियों की तकदीर बदल सकता है. बताया जाता है कि प्रधानमंत्री के दफ्तर (पीएमओ) की पहल से यह फैसला किया जा सकता है. गौरतलब है कि लोकसभा चुनावों से पहले अपने दौरे पर प्रधानमंत्री ने दोनों देशों से आने वाले धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता देने की बात कही थी. इसका सबसे ज्यादा असर असम में होगा, जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं.

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केंद्र सरकार और असम आंदोलन के नेताओं के बीच 1985 में असम समझौता हुआ था. इसके मुताबिक, 1971 के बाद बांग्लादेश सीमा से देश में आने वाले रिफ्यूजी देश से बाहर किए जाने थे. लेकिन अब तक यह काम पूरा नहीं हो सका है.

अमित शाह ने भी किया था वादा
माना जा रहा है कि असम चुनाव के मद्देनजर बीजेपी शरणार्थियों का कार्ड खेल सकती है. अप्रवासियों पर सरकार की भावी नीति से बांग्लादेशी शरणार्थियों को बाद में नागरिकता मिलने की उम्मीद जगेगी. 27 अप्रैल की बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने भी अपने असम दौरे पर कहा था कि अगर बीजेपी सत्ता में आती है तो बांग्लादेश से आए हिंदू शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दी जाएगी.

दिलचस्प है कि सत्तारूढ़ कांग्रेस भी इस पक्ष में है. मुख्यमंत्री तरुण गोगोई भी बांग्लादेशी अप्रवासियों के लिए 'मानवता के आधार पर' नागरिकता की मांग करते रहे हैं. हालांकि उनकी पार्टी पर प्रदेश के बहुसंख्यक वोटों को लुभाने में व्यस्त रहने का आरोप लगता है.

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