वैश्विक आर्थिक मंदी के कारण उत्पन्न कठिन परिस्थितियों, राजकोषीय घाटे और महंगाई को चिन्ता का विषय बताते हुए वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने शुक्रवार को कहा कि अर्थव्यवस्था की बेहतरी के लिए कुछ कड़वी दवाएं जरूरी हैं.
साल 2012-13 के लिए अनुदान की अनुपूरक मांगों पर लोकसभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए चिदंबरम ने कहा कि राजकोषीय घाटा, महंगाई सरकार के लिए चिंता का विषय है और इसे नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाये जा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि अभी 32,119.50 करोड़ रुपये की अनुदान की अनुपूरक मांगें पेश की गई हैं उसमें बड़ा हिस्सा तेल विपणन कंपनियों और एयर इंडिया के नुकसान से जुड़ा हुआ है.
बीजेपी सदस्यों के वॉकआउट के बीच सदन ने अनुपूरक मांगों को ध्वनिमत से मंजूरी प्रदान कर दी. चिदंबरम ने कहा कि राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाये गए हैं. हालांकि दुनिया में वित्तीय संकट के कारण स्थिति थोड़ी खराब हुई. हमें प्रोत्साहन पैकेज देने पड़े, आम लोगों से जुड़ी महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को आगे बढाने और समाज के कमजोर वर्ग के लोगों के हितों को ध्यान में रखने के लिए अतिरिक्त खर्च करना पड़ा.
उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ, अमेरिका, जापान, ब्राजील आदि देशों में विकास दर ठहर गई है. केवल चीन और इंडोनेशिया की विकास दर भारत से अधिक है. हमारे निर्यात में गिरावट आई है, अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है.
वित्तमंत्री ने कहा, ‘लेकिन हमने जो सुधार के कदम उठाये हैं, उससे उम्मीद है कि जब मैं (अगला) बजट पेश करूंगा तो भारत का बेहतर चित्र पेश होगा.’ चिदंबरम ने कहा कि तेल विपणन कंपनियां नुकसान का सामना कर रही हैं और अपने उत्पाद की लागत नहीं वसूल कर पा रही हैं. उन्होंने कहा कि इसी वजह से हम तेल विपणन कंपनियों को 28 हजार 500 करोड़ रुपये प्रदान कर हैं.
उन्होंने कहा कि घरेलू रसोई गैस, कैरोसन तेल पर प्रदान की जाने वाली सब्सिडी के बारे में कुछ चिंताएं हैं. इस पर बहस चल रही है और इनका ध्यान रखा जायेगा. वित्त मंत्री ने कहा कि एयर इंडिया का विषय एक गंभीर मुद्दा है. इससे संबंधित मंत्री निपट रहे हैं. एयर इंडिया के कर्मचारियों और प्रबंधन को इसे सुलझाना है.
उन्होंने कहा कि दुनिया के कई देशों में एयरलाइनें अच्छा काम कर रही हैं. अगर एयर इंडिया की स्थिति ठीक नहीं होगी तो विमान किराया बढेगा. चिदंबरम ने कहा कि पेट्रोल पर सब्सिडी नहीं प्रदान की जाती है.
कई देशों के संबंध में पेट्रोल की कीमतों में असमानता का कारण उस पर लगने वाला कर है. इस पर 14 से 15 प्रतिशत कर लगता है. इसके अलावा सभी राज्य सरकारें भी कर लगाती हैं जो उनकी आय का स्रोत है. उन्होंने कहा कि सरकार स्वच्छ पेयजल और मिड डे मिल योजना पर पूरा ध्यान दे रही है.
1999.2004 के बीच (यूपीए के कार्यकाल) स्वच्छ पेयजल के मद में 10,900 करोड़ रुपये आवंटित किये गए जबकि 2004 से 2009 के बीच 25,924 करोड़ रुपये और 2009 से 2013 के बीच 43,700 करोड़ रुपये आवंटित किये गए हैं.
विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए चिदंबरम ने कहा, ‘कोई भी यह नहीं कह सकता है कि हम काम नहीं कर रहे हैं.’ उन्होंने हालांकि कहा कि देश के कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहां भूजल में आर्सेनिक एवं अन्य तरह का प्रदूषण है. लेकिन इस दिशा में राज्य सरकारों को अधिक काम करने की जरूरत है.