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पाक से वार्ता के लिए झुकना सरकार की कूटनीतिक हार: बीजेपी

बीजेपी ने पाकिस्तान के साथ वार्ता शुरू करने के सरकार के निर्णय को अंतरराष्ट्रीय दबाव के सामने ‘पूर्ण समर्पण और कूटनीतिक हार’ बताते हुए चेतावनी दी कि इस प्रक्रिया में वह ऐसा कुछ नहीं करे, जिससे भारतीय भू-भाग के साथ किसी तरह का समझौता हो या कश्मीर पर देश का रुख हल्का हो.

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बीजेपी ने पाकिस्तान के साथ वार्ता शुरू करने के सरकार के निर्णय को अंतरराष्ट्रीय दबाव के सामने ‘पूर्ण समर्पण और कूटनीतिक हार’ बताते हुए चेतावनी दी कि इस प्रक्रिया में वह ऐसा कुछ नहीं करे, जिससे भारतीय भू-भाग के साथ किसी तरह का समझौता हो या कश्मीर पर देश का रुख हल्का हो.

इस मामले को संसद के आगामी सत्र में उठाने का ऐलान करते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने प्रधानमंत्री से यह स्पष्टीकरण देने को कहा कि मुबंई आतंकी हमले के षडयंत्रकारियों के खिलाफ पाकिस्तान द्वारा कार्रवाई किए जाने तक उससे वार्ता नहीं करने के रुख में अचानक पलटी खाने की जरूरत क्यों पड़ी? मिस्र के शर्म-अल-शेख में पाकिस्तान के साथ जारी संयुक्त बयान में बलूचिस्तान का उल्लेख किए जाने के बाद विदेश सचिव-स्तरीय वार्ता शुरू किए जाने को उन्होंने संप्रग सरकार की दूसरी सबसे बड़ी कूटनीतिक हार बताया.

जेटली ने कहा कि पाकिस्तान ने यह दिखा दिया है कि वह आतंकवाद को भी विदेश नीति के रूप में इस्तेमाल कर सकता है. उन्होंने कहा, ‘‘हम प्रधानमंत्री से यह आश्वासन चाहेंगे कि इस साहस अथवा दुस्साहस की प्रक्रिया में ना तो भारत के किसी भी भू-भाग से समझौता किया जाए और ना ही कश्मीर के रुख में हल्कापन आए.’’ उन्होंने प्रधानमंत्री से यह भी जानना चाहा कि क्या सरकार की इस पहल को उनकी कैबिनेट की सुरक्षा संबंधी समिति ने मंजू़री दी है?

पाकिस्तान के साथ विदेश सचिव स्तरीय वार्ता शुरू करने के सरकार के ऐलान पर सवाल खड़े करते हुए जेटली ने कहा कि वर्तमान में विभिन्न विवादास्पद मुद्दों पर पहले से ही आठ भारत-पाक कार्य समूह गठित हैं. विदेश सचिव इनमें से किसी समूह में शामिल नहीं हैं, अत: उन्हें शामिल करने का मतलब एक तरह से समग्र वार्ता शुरू करना ही है. बीजेपी प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर ने कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के इस कथन के बाद भी कि वह मुंबई आतंकी हमले जैसी घटना दोबारा नहीं होने देने की गारंटी नहीं दे सकते, सरकार ने संसद को दिए इस वायदे को क्यों तोड़ा कि पड़ोसी देश से तब तक वार्ता नहीं की जाएगी, जब तक वह 26/11 के षडयंत्रकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करता और अपने यहां भारत विरोधी आतंकी ढांचे का विध्वंस नहीं करता. उन्होंने कहा, ‘‘भारत की यह कमज़ोरी, आतंकवाद को मज़बूत करेगी.’’

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