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सरकार का विनिवेश कार्यक्रम फिर पकड़ रहा है रफ्तार

राजग कार्यकाल में चर्चित रहा विनिवेश कार्यक्रम एक लंबे विराम के बाद अब संप्रग सरकार के नेतृत्व में भी गति पकड़ता नजर आ रहा है.

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राजग कार्यकाल में चर्चित रहा विनिवेश कार्यक्रम एक लंबे विराम के बाद अब संप्रग सरकार के नेतृत्व में भी गति पकड़ता नजर आ रहा है. सरकार जल्दी ही केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों एनएचपीसी, ऑयल इंडिया लिमिटेड जैसी कंपनियों के आईपीओ (प्रथम सार्वजनिक शेयर निर्गम) और भेल एवं एनटीपीसी जैसी कंपनी के एफपीओ (दूसरे निर्गम) लाने जा रही है. उल्लेखनीय है कि बुधवार को वित्त मंत्री ने केंद्रीय बजट पर राज्य सभा में हुई चर्चा के जवाब में कहा था कि विनिवेश सुधार प्रक्रिया का एक संकेतक है और यह सरकारी कार्यक्रम का हिस्सा भी है. हम जनता की अधिक से अधिक भागीदारी को प्रोत्साहित करना चाहेंगे.

7 अगस्त को आ सकता है एनएचपीसी-ऑयल इंडिया का आईपीओ
उन्होंने संप्रग के विनिवेश कार्यक्रम की अलग पहचान को रेखांकित करने के लिए कहा कि विनिवेश से एकत्र होने वाले धन को एक फंड में जमा किया जाता है जो सरकारी कंपनियों के आधुनिकीकरण और उनकी जरूरतों को पूरा करने में इस्तेमाल होता है. उन्होंने कहा कि ये बातें सार्वजनिक रूप से सभी के सामने हैं और यह सरकारी नीति का हिस्सा भी है. एनएचपीसी और ऑयल इंडिया के अधिकारियों ने गुरुवार को कहा कि उनकी कंपनियों का आईपीओ 7 अगस्त को आ सकता है. एनएचपीसी अपने आईपीओ के जरिये 1,680 करोड़ रुपये जुटाएगी. आर्थिक समीक्षा में भी परामर्श दिया गया है कि सालाना 25,000 करोड़ रुपए के विनिवेश का लक्ष्य रखा जाना चाहिए.

'कोई रणनीतिक बिक्री नहीं होगी'
वित्त सचिव अशोक चावला ने भी कहा था कि सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश का स्पष्ट खाका अगले तीन चार हफ्तों में पेश किया जाएगा. इससे यह स्पष्ट हो जाएगा कि किस सरकारी कंपनी की कितनी हिस्सेदारी बेची जाएगी. हालांकि यह भी साफ कर दिया कि किसी भी सार्वजनिक कंपनी की रणनीतिक हिस्सेदारी बेची नहीं जाएगी. उन्होंने कहा कि सरकार की स्थिति साफ है कि सूचीबद्ध और अन्य सरकारी इकाइयों की हिस्सेदारी का विनिवेश होगा लेकिन कोई रणनीतिक बिक्री नहीं होगी. वित्त मंत्री ने मंगलवार को विनिवेश के बारे में राज्य सभा में दिए गए लिखित जवाब में कहा था कि ‘‘वित्त मंत्रालय ने पीएसयू कंपनियों को सरकारी हिस्सेदारी बेचने और नए शेयर जारी कर कंपनियों की फंड की जरूरतें पूरी करने के लिए दूसरे मंत्रालयों और विभागों से बातचीत शुरू कर दी है और कंपनियों की पहचान की जा रही है. उन्होंने कहा था कि सरकार एनएचपीसी और ऑयल इंडिया का विनिवेश आईपीओ के जरिए करेगी लेकिन राईट्स लिमिटेड का विनिवेश टाल दिया गया है. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने दो और नुकसान में चल रही कंपनियों टायर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया और सेंट्रल इनलैंड वाटर ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन के विनिवेश की योजना बनाई है.

इधर भेल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक के रवि कुमार ने संवाददाताओं से कहा ‘‘हमारे पास नकदी अधिक है. यदि सरकार एफपीओ लाना चाहती है तो वह ला सकती लेकिन मुझे लगता है अगले वित्त वर्ष में ही होगा.’’ इसके अलावा एनटीपीसी का भी एफपीओ आना है. इस बीच वेदांत समूह के प्रमुख अनिल अग्रवाल ने भी कहा है कि वह बाल्को और हिंदुस्तान जिंक में सरकार की शेष हिस्सेदारी खरीदने के लिए 8,000 करोड़ रुपए लगाने को तेयार है. वह इस सिलसिले में दो माह के अंदर वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी से मुलकात करने वाले हैं.

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