योग गुरु बाबा रामदेव ने बजट सत्र के शुरू से ठीक एक दिन पहले रविवार को नरेंद्र मोदी सरकार को वेदों के प्रचार की तरफ ध्यान देने की नसीहत दे डाली. उन्होंने कहा कि वेदों के लिए ठीक वैसे ही खजाना खोला जाए, जैसा कि अल्पसंख्यक संस्थानों के लिए किया गया है. साथ ही उन्होंने वैदिक शिक्षा का केंद्र खोलने का प्रस्ताव दिया है.
उन्होंने कहा, 'सरकार ने मदरसों को धन दिया है. यह अच्छी बात है. हम किसी की आलोचना नहीं कर रहे हैं. हम किसी दूसरे धर्म का अपमान नहीं करते और किसी को नीचा दिखाने की हमारी मंशा नहीं है. मोदी सरकार सबका साथ सबका विकास की बात करती है लेकिन उसके तहत हमारे वेद नहीं आते.
रामदेव वेदों पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में बोल रहे थे और उन्होंने वैदिक विद्यापीठ की स्थापना कर दुनिया में वैदिक शिक्षा का प्रसार किए जाने की भी मांग की.
रामदेव ने आरोप लगाए, 'इस सम्मेलन के आयोजकों ने इस समारोह पर करोड़ों रुपये खर्च किए हैं, लेकिन हमारे सरकार के पास वेदों पर खर्च करने के लिए धन नहीं है. वे इसके लिए अपना खजाना नहीं खोल सकते.
उन्होंने कहा, 'मेरा मानना है कि हमारे देश की प्राचीन बौद्धिकता के महत्व को देखते हुए उन्हें इस पर कई हजार करोड़ रुपये खर्च करने चाहिए. वे संस्कृत पर तो खर्च कर रहे हैं, लेकिन वेदों के लिए उनके पास धन नहीं है.'
सम्मेलन के अंतिम दिन अपने भाषण में रामदेव ने वैदिक मंदिर सह विश्वविद्यालय के गठन की भी वकालत की जहां न केवल पूजा होगी बल्कि वैदिक शिक्षाओं के ज्ञान का केंद्र भी होगा.