विदेशों में जमा बेहिसाब धन-संपत्ति के खिलाफ नए कानून के तहत सरकार की ओर से दी गई 90 दिन की अवधि में लोगों ने 4,147 करोड़ रुपये की अघोषित संपत्ति की घोषणा की. पहले कहा गया था कि सरकार की ओर से दिए गए समय के तहत 3,770 करोड़ रुपये के कालेधन की घोषणा की गई है.
अघोषित संपत्ति के खुलासे से सरकार को करीब 2,400 करोड़ रुपये टैक्स और जुर्माने के रूप में मिलने की उम्मीद हैं. सरकार ने फिर साफ किया है कि जिन लोगों ने इस मौके का फायदा उठाकर विदेश में अपनी बेहिसाब धन संपत्ति की घोषणा नहीं की है उनको इसका परिणाम भुगतने के ‘जोखिम’ के लिए तैयार रहना होगा. राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने सोमवार को मीडिया से बातचीत के दौरान इस संशोधन के बारे में जानकारी दी.
सरकार करेगी कालाधन रखने वालों का पीछा!
अधिया ने कहा कि कुल घोषणाओं की संख्या पहले की तरह 638 ही है, लेकिन घोषित राशि 4,147 करोड़ रुपये है. राजस्व सचिव ने यह पूछे जाने पर कि जिन लोगों ने विदेशों में जमा काले धन की घोषणा निर्धारित अवधि के दौरान नहीं की है उनसे निपटने के लिए सरकार ने क्या कार्रवाई योजना तैयार की है, कहा, ‘उन्होंने एक जोखिम लिया है, हम उनका पीछा करेंगे.’
बता दें कि अनुपालन की अवधि 30 सितंबर को समाप्त हुई. सरकार को घोषित इस राशि पर 30 प्रतिशत कर और 30 प्रतिशत जुर्माने के रूप में कुल 2,488.20 करोड़ रुपये प्राप्त होंगे. सरकार ने एक अक्तूबर को घोषणा की थी कि निर्धारित अवधि के तहत कुल 3,770 करोड़ रुपये की अघोषित राशि जानकारी मिली है. सरकार का कहना है कि वह जानकारी प्राथमिक गणना पर आधारित थी.
HSBC बैंक ने साझा की जानकारी
HSBC बैंक से मिली सूचना के बारे में अधिया ने कहा कि 43 मामलों में कुल 132 अभियोजन दायर किए गए हैं. उन्होंने कहा कि इस तरह हमें अभी तक जो भी सूचना मिली है उनमें काफी कुछ किया जा रहा है. अधिया ने बताया कि एचएसबीसी मामलों में कुल 4,562 करोड़ रुपये टैक्स की मांग बनाई गई है. 2014-15 में कुल 1,600 आग्रह भेजे गए, जबकि इससे पिछले साल यह आंकड़ा 800 का था. उन्होंने कहा कि एक बार साझा रिपोर्टिंग मानक (सीआरएस) के बारे में बहुपक्षीय व्यवस्था 2017 से लागू होने के बाद विदेशों में जमा काले धन के बारे में हमें बड़ी जानकारियां मिल सकेंगी. 50 से अधिक देशों ने इस व्यवस्था पर हस्ताक्षर किए हैं.
- इनपुट भाषा