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अंकुश लगाने से पहले खापों का पक्ष भी जानना चाहता है सुप्रीम कोर्ट

खाप पंचायतों के बेतुके फरमानों से महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस भेजा है. इसमे कहा गया है कि खाप पंचायत पर सरकार कड़ी नजर बनाए रखे. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने खाप प्रतिनिधियों को 14 जनवरी को कोर्ट मे हाजिर होने का निर्देश भी दिया है.

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खाप पंचायतों के बेतुके फरमानों से महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस भेजा है. इसमे कहा गया है कि खाप पंचायत पर सरकार कड़ी नजर बनाए रखे. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने खाप प्रतिनिधियों को 14 जनवरी को कोर्ट मे हाजिर होने का निर्देश भी दिया है. कोर्ट का कहना है कि वो खाप पंचायत का पक्ष भी सुनना चाहते हैं. इसके अलावा हरियाणा के जींद और बागपत जिलों के आईजी (क्राइम) को भी सुप्रीम कोर्ट ने तलब किया है.

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न्यायालय ने कहा कि अंतरजातीय और गोत्र के भीतर विवाह करने वाले युगल, विशेषकर महिलाओं के मामले में खाप पंचायतों को फरमान जारी करने से रोकने से पहले वह उनका दृष्टिकोण भी जानना चाहता है.

केन्द्र सरकार ने महिलाओं के प्रति खाप पंचायतों के अपराधों पर निगरानी की व्यवस्था सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है क्योंकि पुलिस महिलाओं को संरक्षण प्रदान करने में विफल रही है. केन्द्र का कहना था कि इस वजह से महिलाओं को अत्यधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में कोई भी आदेश देने से पहले वह खाप पंचायतों का दृष्टिकोण भी जानना चाहती है.

न्यायालय ने कहा कि खाप पंचायत 14 जनवरी को इस मामले की सुनवाई के दौरान अपना पक्ष रख सती हैं. इस बीच, न्यायालय ने पायलट परियोजना के रूप में हरियाणा के रोहतक और जींद जिलों के साथ ही उत्तर प्रदेश के बागपत जिले की स्थिति पर गौर करेंगे जहां खाप पंचायतें बहुत सक्रिय हैं. न्यायालय ने इन जिलों के पुलिस अधीक्षकों को तलब किया है. न्यायालय ने गैर सरकारी संगठन शक्ति वाहिनी से कहा कि खाप के बुजुर्गों को सूचित किया जाये कि वे यहां आकर अपना दृष्टिकोण रखें.

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इस संगठन और केन्द्र द्वारा समाचार पत्रों में खाप के दृष्टिकोण की ओर ध्यान आकषिर्त किये जाने पर न्यायाधीशों ने कहा, ‘इन बयानों के लिये उन्हें जवाबदेह ठहराया जा रहा है लेकिन हमें उनके दृष्टिकोण की जानकारी नहीं है. वहां कई खाप हो सकती हैं और उनकी राय में भी भिन्नता हो सकती है.’

न्यायाधीशों ने कहा, ‘हम अधिक संतुष्ट होंगे यदि हमें खापों से ही उनके नजरिये की जानकारी मिलेगी. इस समय तो हम वही दृष्टिकोण सुन रहे हैं जो उनके खिलाफ हैं.’ न्यायाधीशो ने कहा, ‘आप प्रमुख खापों की पहचान करके उनके बुजुर्गों को सूचित करें कि न्यायालय उनका पक्ष सुनने के लिये तैयार है.’ न्यायालय ने इसके साथ ही इस याचिका की सुनवाई 14 अगस्त के लिए स्थगित कर दी.

शीर्ष अदालत ने हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कानून व्यवस्था के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक को भी 14 जनवरी को पेश होने की हिदायत दी है. अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल इन्दिरा जयसिंह ने खाप पंचायतों के फरमानों पर अंकुश के लिए दिशा निर्देश बनाने का अनुरोध करते हुये कहा कि इस बारे में एक सुविचारित व्यवस्था की आवश्यकता है क्योंकि वे कई ऐसी गतिविधियों में लिप्त होते हैं जिन्हें कानून के तहत रोका नहीं जा सकता है और इनमें से कुछ गैरकानूनी भी नहीं है.

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उन्होंने खाप पंचायतों के फरमान नहीं मानने वाली महिलाओं का समाज से बहिष्कार करने और उनका सिर मुंड़वाने जैसी घटनाओं का हवाला देते हुये कहा कि विधि आयोग ने खाप पंचायत को गैरकानूनी जमावड़े के रूप में वर्णित किया है.

इन्दिरा जयसिंह ने कहा, ‘महिलाओं के प्रति चुनिन्दा हिंसा को कानून के खिलाफ कृत्य घोषित किया जाये. महिला की शिकायत पर कार्यवाही की निगरानी की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि ऐसे मामलों में कानून सक्रिय है. न्यायालय शुरू में इस मामले में दिशा निर्देश जारी करने के संकेत दिये लेकिन बाद में उसने कहा कि फिलहाल पायलट परियोजना के रूप में वह तीन जिलों की स्थिति पर गौर करेगा.

इस मामले में न्याय मित्र की भूमिका निभा रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचंद्रन ने कहा कि यदि कोई खाप पंचायत किसी महिला के खिलाफ फरमान जारी करने वाली हो तो पुलिस को ऐसी सभा को रोकना चाहिए. शीर्ष अदालत ने झूठी शान की खातिर युवा जोड़ों की हत्याओं की बढ़ती घटना के मद्देनजर केन्द्र और राज्यों को जून 2010 में नोटिस जारी किये थे.

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