केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने कहा है कि फ्रॉड में संलिप्त होने के कारण सरकार ने 97 अस्पतालों को आयुष्मान भारत योजना के पैनल से बाहर कर दिया है. सरकार के इस कदम की घोषणा आयुष्मान भारत योजना में खामियों को लेकर इंडिया टुडे की स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) के खुलासे के बाद हुई है.
इंडिया टुड के इंवेस्टिगेशन में सामने आया था कि कैसे कुछ अस्पताल आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थी मरीजों का इलाज करने से मना कर रहे हैं. मंगलवार को केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि कुछ ऐसे मामले उनके सामने आए जो इन अस्पतालों को पैनल से हटाने के लिए पर्याप्त हैं.
केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि कुछ अस्पतालों में फ्रॉड के मामले सामने आए हैं. इन्हें लेकर कार्रवाई की जा रही है. 255 कर्मचारियों की आईडी बंद कर दी गई है और 376 की जांच की जा रही है. मंत्री ने यह भी कहा कि लाभर्थियों के साथ के मामले में संलिप्त 6 अस्पतालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.
हाल ही में जब इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोर्टरों ने एक गरीब टाइफाइड के मरीज का तीमारदार बनकर हरियाणा के पलवल में स्थित गोल्डेन अस्पताल में इलाज के लिए संपर्क किया तो उस मरीज का इलाज करने से मना कर दिया गया. आयुष्मान भारत प्रोजेक्ट के ऑनलाइन पोर्टल पर गोल्डन हॉस्पिटल का नाम भी शामिल है. गोल्डन हॉस्पिटल के मेडिकल हेड डॉ अंशुमान दास ने आयुष्मान भारत योजना के तहत टाइफाइड का इलाज शामिल होने से इनकार किया.
आयुष्मान भारत की वेबसाइट पर इस कार्यक्रम से जुड़ी सारी छोटी-बड़ी जानकारियां उपलब्ध हैं, जैसे कि हर राज्य में कौन कौन से अस्पताल पैनल में हैं और वे कौन कौन सी बीमारियों का इलाज करते हैं.
अस्पतालों के नाम के सामने तय सुविधाओं के साथ निर्धारित इलाज के विशिष्ट कोड भी दिए गए हैं जो कि लाभार्थियों को उनकी तरफ से उपलब्ध कराया जाना है. मिसाल के तौर M1 कोड आम दवाओं के लिए और M6 कोड रेडिएशन ऑन्कोलॉजी (radiation oncology) के लिए दिया गया है.
पोर्टल के एक और वेबपेज पर स्पेशियलिटी इलाज की विस्तृत सूची दी गई है. इसे क्लिक करने पर एक माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल शीट खुलती है, जिसमें कार्यक्रम के तहत कवर मेडिकल की स्थितियों और बीमारियों का जिक्र है.
आयुष्मान भारत के तहत अभी तक करीब 17,000 अस्पतालों को जोड़ा गया है. लेकिन जांच में सामने आया कि इस योजना के तहल पैनल में शामिल कुछ अस्पताल आयुष्मान मरीजों के इलाज से बच रहे हैं.