31 मार्च 2013 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में तकरीबन 90 लाख मोबाइल चोरी होने के बावजूद सरकार की सेंट्रल रजिस्ट्री योजना अभी तक शुरू नहीं हो पाई है. इस योजना के तहत चोरी हुए मोबाइल का पता लगाया जाना था.
दूरसंचार विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक, इस संबंध में अमेरिकी कंपनी टेलकॉर्डिया टेक्नोलॉजी ने जनवरी में एक ट्रायल शुरू किया था जो सफल नहीं हो पाया. क्योंकि भारत में बड़ी तादाद में ऐसे मोबाइल हैंडसेट का इस्तेमाल हो रहा है जो किसी ना किसी फोन की क्लोनिंग कर बनाई गई है.
चीन से हर साल बड़ी तादाद में सस्ते मोबाइल हमारे देश में आ रहे हैं. DoT और TRAI के इन मोबाइल फोन की क्लोनिंग को रोकने के सारे प्रयास विफल हो चुके हैं. और अब यह हमारे देश की सुरक्षा के लिए चिंता का सबब बनते जा रहे हैं.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने हमें बताया कि भारत में हजारों मोबाइल फोन का IMEI नंबर एक है. चीन से आने वाले मोबाइल फोन की बड़े पैमाने पर क्लोनिंग हो रही है.
चीन से फर्जी IMEI नंबर वाले मोबाइल का आयात रोकने के लिए ट्राई ने 2011 में वाणिज्य मंत्रालय से अनुरोध किया था. मगर ट्राई को अभी तक इस संबंध में कोई जवाब नहीं मिला. ट्राई ने इस बात की मांग भी की थी कि चीन से सिर्फ सर्टिफाइड मोबाइल फोन का ही आयात किया जाए. मजेदार बात यह है कि ट्राई के वर्तमान चैयरमेन राहुल खुल्लर ही उन दिनों वाणिज्य सचिव थे.
टेलीकॉम सेक्रेटरी एमएफ फारुकी ने बताया, ' मोबाइल हैंडसेट को लेकर सूचना इकट्ठा करने की हमारी कोई योजना नहीं है. लेकिन यदि किसी को क्लोन्ड मोबाइल या सिम के बारे में कोई जानकारी चाहिए तो हम मुहैया कराएंगे.'
सेल्यूलर ऑपरेटर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के डायरेक्टर जनरल राजन एस मैथ्यू के मुताबिक हर मोबाइल हैंडसेट का एक यूनिक सिक्यूरिटी कोड ना होने से भारत में क्लोनिंग की समस्या तेजी से बढ़ती जा रही है. इसे तुरंत रोका जानिए चाहिए, वरना ऑरिजनल हैंडसेट का असमाजिक तत्व गलत इस्तेमाल कर सकते हैं.
गौरतलब है कि पिछले वित्तीय वर्ष में 90 लाख मोबाइल फोन चोरी हुए. 2011 में एक जांच के दौरान एक निश्चित क्षेत्र में 18000 मोबाइल हैंडसेट एक ही IMEI नंबर के मिले. भारत के मोबाइल बाजार के करीब 45 फीसदी हिस्से पर चीन से आयातित बेहद सस्ते हैंडसेट का कब्जा है.