केंद्र सरकार द्वारा गठित एक कमेटी ने मैरिटल रेप को अपराध माने जाने की सिफारिश की है. सरकार द्वारा गठित पाम राजपूत कमेटी ने सिफारिश की है कि मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में रखा जाना चाहिए. सोमवार को एक अंतर मंत्रालय समूह कमेटी की सिफारिशों पर चर्चा करेगी.
सरकार नहीं है सहमत!
गौरतलब है कि सरकार की राय और कमेटी की सिफारिशों में काफी अंतर है. गृहराज्य मंत्री हरिभाई चौधरी ने अप्रैल में राज्यसभा में कहा था कि मैरिटल रेप की अवधारणा भारतीय समाज के हिसाब से ठीक नहीं है क्योंकि यहां शिक्षा, आर्थिक हालात, सामाजिक रीति रिवाज और धार्मिक मसले भी जुड़े होते हैं.
हालांकि सोशल एक्टिविस्ट सरकार के इस रुख का विरोध करते रहे हैं. इनका कहना है कि यूएन की कमेटी भी मैरिटल रेप को अपराध के दायरे में रखने को जरूरी बता चुकी है. जस्टिस वर्मा कमेटी ने भी मैरिटल रेप को अपराध के दायरे में रखने की सिफारिश की थी.
मेनका गांधी ने किया समर्थन
महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने मैरिटल रेप को अपराध के दायरे में लाने का समर्थन किया है. मेनका ने हाल ही में कहा था, 'महिलाओं के खिलाफ हिंसा को अलग करके नहीं देखा जाना चाहिए. अकसर मैरिटल रेप केवल आदमी की सेक्स की जरूरत के लिए नहीं होता बल्कि यह महिला पर दबाव डालने और उसे ताकत दिखाने का भी एक तरीका है. इस तरह के मामलों में गंभीरता दिखानी जरूरी है.'
क्या था संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा था कि भारत में 15 से 49 साल की एक तिहाई शादीशुदा महिलाओं के साथ या तो मारपीट होती है या फिर उन्हें सेक्स के लिए मजबूर किया जाता है. साल 2011 में एक इंटरनेशनल कमेटी ने कहा था कि पांच में से एक आदमी अपने पार्टनर या वाइफ को सेक्स के लिए मजबूर करते हैं.
सोमवार को होने वाली बैठक में सेक्स की आपसी सहमति की उम्र को 18 से 16 किए जाने के प्रस्ताव पर भी बात हो सकती है. इसके अलावा दहेज के मामलों का दायरा बढ़ाने पर भी विचार किया जा सकता है. इस बैठक में ऑनर क्राइम्स पर भी चर्चा हो सकती है.