प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंगलवार को कहा कि सरकार उच्च शिक्षा में असंतुलन दूर करने और भागीदारी संबंधित योजनाओं को कारगर बनाने के लिए काम करेगी.
राष्ट्रपति भवन में आयोजित केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने कहा, 'हमें भागीदारी की चिंताओं को ध्यान में रखना होगा. हम राज्यों के बीच, क्षेत्रों के बीच और समाज के विभिन्न समुदायों के बीच असंतुलन को दूर करने के लिए काम करेंगे. हम भागीदारी संबंधित योजनाओं को कारगर बनाएंगे और उनका बजटीय समर्थन बढ़ाएंगे.'
प्रधानमंत्री ने कहा कि वह चाहते हैं केंद्रीय विश्वविद्यालय गुणवत्ता के मामले में अग्रणी संस्थान बने. उन्होंने कहा, 'उच्च शिक्षा के लिए मानक स्थापित करने में हम केंद्रीय विश्वविद्यालयों की महत्वपूर्ण भूमिका पर विचार कर रहे हैं. उच्च शिक्षा में अपने समीपवर्तियों के लिए हम केंद्रीय विश्वविद्यालयों से रोल मॉडल की भूमिका में आने की उम्मीद करते हैं.'
उन्होंने कहा कि कुछ केंद्रीय विश्वविद्यालय सुदूरवर्ती इलाकों में स्थित हैं, लेकिन वे भी हमारे देश में अकादमिक असंतुलन कम करने में योगदान दे सकते हैं. मनमोहन सिंह ने कहा कि भारत का शैक्षणिक परिदृश्य मान्यता के दायरे से बाहर रूपायित हो चुका है और इस बदलाव ने शिक्षा के हर स्तर और प्रकार- प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च, व्यावसायिक और कौशल विकास- को स्पर्श किया है.
उन्होंने कहा, 'मैं समझता हूं कि हमारी सरकार ने शिक्षा पर पर्याप्त ध्यान दिया है. हमने शिक्षा को पहुंच के जिस दायरे तक लाया, वैसा पहले कभी नहीं हुआ था. हमने शिक्षा में जितना निवेश किया, उतना कभी नहीं हुआ था. कुल आकार में शिक्षा की हिस्सेदारी 10वीं योजना के 6.7 प्रतिशत से बढ़ा कर 11वीं योजना में 19.4 प्रतिशत की गई.'