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रक्षा मंत्री ने किया OROP का ऐलान, पूर्व सैनिक बोले- हमारी 6 मांगें नहीं मानी गईं

रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने पूर्व सैनिकों की मांग को पूरा करते हुए शनिवार को वन रैंक वन पेंशन का ऐलान कर दिया. रक्षा मंत्री ने कहा कि हमने 40 साल पुरानी मांग पूरी करके अपना वादा पूरा कर दिया है. पूर्व सैनिकों ने रक्षा मंत्री के ऐलान पर संतुष्टि जताई है, लेकिन वक्त से पहले रिटायर होने वाले सैनिकों को इस योजना में शामिल न किए जाने पर नामंजूरी जताई है.

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रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर

रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने पूर्व सैनिकों की मांग को पूरा करते हुए शनिवार को वन रैंक वन पेंशन का ऐलान कर दिया. रक्षा मंत्री ने कहा कि हमने 40 साल पुरानी मांग पूरी करके अपना वादा पूरा कर दिया है. पूर्व सैनिकों ने रक्षा मंत्री के ऐलान पर संतुष्टि जताई है, लेकिन वक्त से पहले रिटायर होने वाले सैनिकों को इस योजना में शामिल न किए जाने पर नामंजूरी जताई है.

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रक्षा मंत्री ने बताया, 'वन रैंक वन पेशन योजना 1 जुलाई 2014 से लागू होगी और पूर्व सैनिकों को चार छमाही किश्तों में एरियर मिलेगा. समान पद पर समान पेंशन मिलेगी.' पूर्व सैनिकों की विधवाओं को बकाया एकमुश्त दिया जाएगा. इस पर 8 हजार से 10 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे. वन रैंक वन पेंशन के लिए 2013 को आधार वर्ष माना जाएगा.

पर्रिकर ने बताया कि हर पांच साल में पेंशन की समीक्षा होगी और स्वैच्छ‍िक रिटायरमेंट यानी वीआरएस लेने वाले सैनिकों के लिए वन रैंक वन पेंशन का ऐलान बाद में किया जाएगा. एक सदस्यीय न्यायिक कमेटी भी बनाई जाएगी.

पूर्व सैनिक सतबीर सिंह ने कहा, 'सरकार ने हमारी 1 बात मानी, 6 बातें नहीं मानी. भूख हड़ताल पर हम बाद में फैसला करेंगे.' उन्होंने कहा कि किसी सीनियर को जूनियर से कम पेंशन नहीं मिलनी चाहिए और एक की बजाय पांच सदस्यीय न्यायिक कमेटी बननी चाहिए, जिसमें सेना का भी प्रतिनिधित्व भी हो.

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जिन बिंदुओं पर सहमति नहीं बन सकी थी, उन पर एकराय बनाने के लिए रक्षा मंत्री की पूर्व सैनिकों के साथ बैठक अब से कुछ देर पहले हुई. इस बैठक में सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह भी मौजूद थे. बैठक के बाद अब रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मिले.


रक्षा मंत्री के साथ बैठक के बाद पूर्व सैनिक सतबीर सिंह ने बताया कि सरकार ने ज्यादातर मांगें मान ली हैं.

गौरतलब है कि सरकार ने 2013 को पेंशन के लिए आधार वर्ष बनाया है. इस पर अमल की तिथि जुलाई 2014 तय की गई है.

सूत्रों ने बताया कि इन दोनों मुद्दों पर सरकार और पूर्व सैनिकों के बीच सहमति बन गई है . लेकिन, पेंच पेंशन के पुनरीक्षण की अवधि पर फंसा हुआ है. सरकार हर पांच साल में यह करना चाहती है लेकिन पूर्व सैनिक इसके लिए तैयार नहीं हैं.

पूर्व सैनिक हर दो साल पर पुनरीक्षण के लिए तैयार हैं. हालांकि उनका कहना है कि इससे सेवानिवृत्त 11 फीसदी वरिष्ठों को अपने कनिष्ठों के मुकाबले एक साल के लिए कम पेंशन मिलेगी. पूर्व सैनिकों की प्रमुख मांगों में से एक यह भी है कि किसी भी समय में कनिष्ठों की पेंशन वरिष्ठों से अधिक नहीं होनी चाहिए .

सरकार की योजना के मुताबिक वन रैंक वन पेंशन 1 जुलाई, 2014 से लागू होगा और पूर्व सैनिकों को छह-छह महीने की चार किश्तों में एरियर दिया जाएगा . पूर्व सैनिकों की विधवाओं को पूरा बकाया एकमुश्त दिया जाएगा. साल 2013 को आधार मानकर वन रैंक वन पेंशन का फॉर्मूला लागू होगा. रिटायर्ड अफसरों की पेंशन में समानता के लिए हर पांच साल में पेंशन में संशोधन किया जाएगा.

10 से 12 हजार करोड़ खर्च होंगे

सरकार का अनुमान है कि वन रैंक वन पेंशन का एरियर देने में सरकारी खजाने पर 10 से 12 हजार करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा. पिछली सरकार ने 2014 के बजट में इसके लिए 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था, लेकिन इस पर 8 से 10 हजार करोड़ खर्च होंगे, जिसमें भविष्य में बढ़ोतरी भी होगी.

हालांकि वन रैंक वन पेंशन का फायदा स्वैच्छ‍िक रिटायरमेंट यानी वीआरएस लेने वाले सैनिकों को नहीं मिलेगा.

इस बीच, कुछ पूर्व सैनिक ये भी कह रहे हैं कि सरकार हमारी चिंताओं को अगर सुलझाती नहीं है तो हमारा धरना जारी रहेगा. धरने में शामिल रिटायर्ड कर्नल राजीव ने कहा कि अगर हमे भरोसे में लिए बगैर कोई फैसला होता है तो ये स्वीकार्य नहीं होगा.

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