सोमवार को पंजाब के गुरदासपुर में हुए आतंकवादी हमले के पीछे सीमा पार से साजिश की बात सामने आ रही है. आतंकियों के पास से मिले जीपीएस सेट से साजिश के पीछे पाकिस्तानी कनेक्शन फिर सामने आ रहा है.
सिख अलगाववाद से इंकार
इस बीच पंजाब के DGP ने इस हमले के पीछे सिख अलगाववाद के होने की अकटलों को सिरे से खारिज किया है . डीजीपी सुमेध सिंह सैनी ने दावा किया है कि तीनों हमलावर मुस्लिम थे. सोमवार को पाकिस्तान के बॉर्डर से सटे पंजाब के गुरदासपुर के दीनानगर में तीन बंदूकधारियों ने हमला कर दिया था. उसके बाद से अटकलें लगाई जा रही थीं कि हमालवर सिख अलगाववादी थे लेकिन पंजाब पुलिस चीफ ने इससे उलट बयान दिया है.
एक दशक में ऐसा पहला हमला
DGP सैनी ने कहा, 'हमलावरों के शरीर की जांच-पड़ताल के बाद पता चला है कि वे मुस्लिम थे.' हमले में चार पुलिसकर्मी शहीद हुए थे और तीन नागरिक भी मारे गए थे. पिछले एक दशक में पंजाब में पहली बार ऐसा हमला हुआ है. पंजाब पुलिस और अन्य सुरक्षा बलों के ऑपरेशन में सभी तीन आतंकियों को मार गिराया गया. तीनों आतंकियों को मारने में पुलिस को लगभग 11 घंटे का समय लगा था.
आतंकियों की पहचान मुश्किल
सैनी ने बताया, 'पुलिस हमलावरों की पहचान नहीं कर पाई है क्योंकि उनके पास से कोई ऐसा पहचान पत्र या डॉक्युमेंट नहीं मिला है. यहां तक कि उन्होंने अपने हथियारों से भी हर तरह के वे निशान मिटा दिए थे, जिससे उनकी पहचान न की जा सके.'
GPS से रूट ट्रैक
आतंकियो के पास जो जीपीएस डिवाइस बरामद की गयी है उसकी जांच में यह बात साफ हो गयी है कि सभी आतंकी पाकिस्तान के शाकरगढ़ के घरोट गांव से भारत में आये थे. आतंकियों ने रावी नदी के रास्ते भारतीय सीमा में प्रवेश किया. जिसके बाद आतंकियों ने हाइवे 1-ए का रास्ता अपनाया. यह हाइवे पंजाब और जम्मू कश्मीर को जोड़ता है. पठानकोट अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटा हुआ इलाका है.
पांच विस्फोटक भी पाए गए थे
सैनी ने बताया कि पुलिस को स्टेशन से दो जीपीएस डिवाइसेज मिली हैं जिनमें इंडिया-पाकिस्तान के बॉर्डर से रेलवे ट्रैक तक रास्ता प्रोग्राम किया था. इसी रास्ते पर पांच विस्फोटक भी पाए गए थे. एक पुलिसकर्मी ने बताया कि जीपीएस सिस्टम में पहली एंट्री 21 जुलाई को यानी अटैक से काफी पहले ही की गई थी.