चंदा नियमन कानून (एफसीआरए) के तहत सरकार द्वारा पंजीकरण रद्द करने के बाद ग्रीनपीस ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए नया अभियान शुरू किया है जिसमें वास्तविक जिंदगी की कहानियों को उजागर करते बॉलीवुड फिल्मों के पोस्टर लगाए गए हैं और कहा कि पर्यावरण के लिए इसकी लड़ाई निर्बाध रूप से जारी रहेगी.
गैर सरकारी संगठन ने कहा कि एफसीआरए का पंजीकरण रद्द करना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ इसका अनवरत दमन है और सार्वजनिक प्रक्रियाओं में स्वस्थ वातावरण और पारदर्शिता की मांग की. संगठन ने कहा कि जो लोग सत्ता में हैं वे लोकतंत्र में असहमति का दमन नहीं कर सकते.
सरकार ने देश की आर्थिक प्रगति के खिलाफ कथित तौर पर काम करने के लिए विदेशी चंदा नियमन कानून के तहत एनजीओ का पंजीकरण रद्द कर दिया है. इसका मतलब है कि एनजीओ को विदेशों से चंदा नहीं मिलेगा जो इसके संपूर्ण संचालन का 30 फीसदी से ज्यादा है.
ग्रीनपीस इंडिया की अंतरिम सह कार्यकारी निदेशक विनीता गोपाल ने कहा, एफसीआरए का पंजीकरण रद्द करना सार्वजनिक प्रक्रियाओं में स्वस्थ वातावरण, अच्छा प्रशासन और पारदर्शिता की मांग करने वाले और सभी भारतीयों के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के विरूद्ध सरकारी दमन का हिस्सा है.
-इनपुट भाषा