उत्तर पूर्वी भारत बुरी तरह बाढ़ की चपेट में है. मूसलाधार बारिश ने मुसीबत बढ़ाई तो ब्रह्मपुत्र नदी ने असम-अरुणाचल में तबाही का सैलाब ला दिया. लेकिन असम में ब्रह्मपुत्र से बाढ़ कोई नई बात नहीं है. यह बात हर साल ऊपरी असम से लेकर निचले असम तक हजारों घर बार उजाड़ देती है. यह समस्या विकराल होती जा रही है और ब्रम्हपुत्र नदी के प्रचंड बहाव से होने वाला भूमि कटाव इससे भी कई गुना ज्यादा गंभीर समस्या है.
असम के जोरहाट के पास नीमाटी घाट है. इस घाट से नाव लेकर दुनिया के इकलौते और सबसे बड़ी मीठे पानी की द्वीप माजुली का सफर शुरू होता है. घाट पर बने तटबंध पर भूमि कटाव का असर सीधे दिखाई दे रहा है. ब्रम्हपुत्र नदी के बाहर से पिछले कई दशकों से जमीन का कटाव बड़ी तेजी से हो रहा है. इस बार भी बाढ़ के चलते इस घाट के कई तटबंधों के टूटने की नौबत आ गई थी. समय रहते सावधानी बरती गई वरना ब्रम्हपुत्र नदी अपनी धारा मोड़ सकती थी और इससे जोरहट समेत आसपास के कई जिलों में तबाही आ सकती थी.
नीमानी घाट पर भी भूमि कटाव लगातार जारी है. पिछले कई वर्षों में लगभग 4 किलोमीटर तक की भूमि ब्रम्हपुत्र की धारा में बह चुकी है.
असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल के चुनाव जीतने के बाद दुनिया की ऐतिहासिक धरोहर माजुली को नया जिला घोषित कर दिया गया है. लेकिन भूमि कटाव माजुली के अस्तित्व के लिए एक बड़ा खतरा बना हुआ है. माजुली के नए और पहले उपायुक्त पल्लव झा ने 'आजतक' से बातचीत में कहा कि ब्रम्हपुत्र से होने वाला भूमि कटाव बहुत पुराना और एक बड़ा खतरा है. लेकिन सरकार इस खतरे से निपटने के लिए तैयारियां कर रही है और जल्दी ही पत्थरों से तटबंध बनाकर इस भूमि कटाव को रोका जाएगा. हर साल बाढ़ से यह भूमि कटाव और भी तेज हो जाता है, जिससे ब्रम्हपुत्र नदी की धारा में भी बदलाव हो रहा है और यही असम के लिए श्राप बन जाता है.