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117 साल में 2.06 डिग्री बढ़ा देश का पारा, अगले साल तक 21 शहरों में खत्म हो जाएगा भूजल

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की रिपोर्ट को माने तो 117 साल में देश का औसत तापमान 2.06 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है. 1901 में देश का औसत तापमान 24.23 डिग्री सेल्सियस था, जो 2018 तक बढ़कर 26.29 डिग्री हो गया था. नीति आयोग की कंपोजिट वॉटर इंडेक्स रिपोर्ट ने चेताया है कि गर्मी बढ़ने और अत्यधिक दोहन से दिल्ली, बेंगलुरू और हैदराबाद समेत 21 प्रमुख शहरों से अगले साल तक भूजल खत्म हो जाएगा.

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प्रतीकात्मक तस्वीर (गेटी)
प्रतीकात्मक तस्वीर (गेटी)

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देश में इस बार गर्मी ने सारे रिकॉर्ड तोड़ डाले. दुनिया के 15 सबसे गर्म शहरों में 10 सबसे गर्म शहर भारत के थे. मॉनसून भी 15 दिन की देरी से चल रहा है. देश के 91 बड़े जलाशयों में सिर्फ 20 फीसदी पानी बचा है. चेन्नई में पीने लायक पानी की भारी किल्लत है. होटलों को कम पानी उपयोग करने की सलाह जारी की गई है. कोयंबटूर में गर्मी से झील की मछलियां मर गईं. देश में पानी की कमी कहीं बढ़ते हुए तापमान की वजह से तो नहीं है.

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की रिपोर्ट को माने तो 1901 से लेकर 2018 तक देश के औसत तापमान में 2.06 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है. 1901 में देश का औसत तापमान 24.23 डिग्री सेल्सियस था, जो 2018 तक बढ़कर 26.29 डिग्री सेल्सियस हो गया था. लगातार पेड़ों की कटाई, नदियों से रेत निकालना, इमारतें बनाते जाना, प्रदूषण आदि वातावरण को गर्म करते जा रहे हैं.

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वहीं, नीति आयोग की हाल ही में जारी कंपोजिट वॉटर इंडेक्स रिपोर्ट ने चेताया है कि गर्मी बढ़ने और अत्यधिक दोहन से भूजल भी कम होता जा रहा है. ऐसा ही रहा तो दिल्ली, बेंगलुरू और हैदराबाद समेत देश के 21 प्रमुख शहरों से अगले साल तक भूजल खत्म हो जाएगा. इससे करीब 10 करोड़ लोगों को पानी की भारी किल्लत होगी. नीति आयोग ने इन शहरों में तत्काल कड़े कदम उठाने की सलाह दी है.

60 करोड़ लोगों को पानी की भारी कमी है पूरे देश में

नीति आयोग की इस रिपोर्ट के मुताबिक हर साल देश में मौजूद भूजल का 40 फीसदी लोग अपने उपयोग में लेते हैं. इसके बावजूद, देश में 60 करोड़ लोगों को पानी की भारी कमी झेलनी पड़ती है. जबकि, साफ पानी की कमी नहीं मिलने से हर साल देश में करीब 2 लाख लोगों की मौत हो जाती है. अगर इसी तरह से भूजल का दुरुपयोग होता रहा तो 2030 तक देश की 40 फीसदी आबादी को पीने के पानी नहीं मिलेगा.

2002 से 2016 के बीच देश में भूजल हर साल 10 से 25 मिमी कम हुआ

देश में भूजल का स्तर 2002 से लेकर 2016 के बीच हर साल 10 से 25 मिमी कम हुआ है. खरीफ सीजन में औसत बारिश 1050 मिमी से घटकर 1000 मिमी तक आ गया. जबकि, रबी सीजन में 150 मिमी बारिश से घटकर 100 मिमी हो गई है. सूखे दिन (बिना मॉनसून वाले) की संख्या 40 फीसदी से बढ़कर 45 प्रतिशत हो गया है.

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पानी के प्रबंधन में रैंकिंग के अनुसार राज्य

  1. गुजरात - 76%
  2. मध्यप्रदेश- 69%
  3. आंध्र प्रदेश - 68%
  4. त्रिपुरा - 59%
  5. कर्नातक - 56%
  6. महाराष्ट्र - 55%
  7. हिमाचल प्रदेश - 53%
  8. पंजाब - 53%
  9. तमिलनाडु - 51%
  10. तेलंगाना - 50%
  11. सिक्किम - 49%
  12. छत्तीसगढ़ - 49%
  13. राजस्थान - 48%
  14. गोवा - 44%
  15. केरल - 42%
  16. ओडिशा - 42%
  17. बिहार - 38%
  18. यूपी - 38%
  19. हरियाणा - 38%
  20. झारखंड - 35%
  21. असम - 31%
  22. नगालैंड - 28%
  23. उत्तराखंड - 26%
  24. मेघालाय - 26%

2050 तक जीडीपी में 6% का नुकसान होगा

अगर तत्काल पानी को बचाने की व्यवस्था नहीं की गई तो देश की जीडीपी में 6 फीसदी का नुकसान होगा. अभी देश में 70 फीसदी पानी प्रदूषित है. ग्लोबल वॉटर क्वालिटी इंडेक्स में 122 देशों की रैंकिंग में भारत 120वें नंबर पर है. भारत में पूरी दुनिया का 4% साफ पानी है. लेकिन, कृषि, उद्योग, घरेलू काम, उर्जा के लिए लगातार बढ़ रही पानी की मांग के चलते इनमें कमी आ रही है.

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