भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के वयोवृद्ध नेता ए बी बर्धन ने शुक्रवार को अडानी पावर और टाटा पावर जैसी निजी बिजली कंपनियों पर हमला बोलते हुए कहा कि इन कंपनियों द्वारा 8000 मेगावाट से अधिक क्षमता के बिजली घरों को दरें बढ़वाने के लिए बंद करना ‘ब्लैकमेल’ है.
बर्धन ने संवाददाताओं से कहा, ‘जब केन्द्र और राज्य सरकारों की गलत ऊर्जा नीति के चलते देश इतिहास के सबसे भीषण बिजली संकट के दौर से गुजर रहा है, तब अडानी पावर और टाटा पावर द्वारा 8000 मेगावाट से अधिक क्षमता के बिजली घरों को दरें बढवाने के लिए बंद करना ब्लैकमेल है. केन्द्र सरकार को इस पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए.’ उन्होंने कहा कि 25 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ी हुई दरों पर रोक लगायी है, जिसके बाद से ही इन निजी कंपनियों ने अपने बिजली घर बंद कर दिये.
बर्धन, जो बिजली इंजीनियर एवं कर्मचारियों की राष्ट्रीय समन्वय समिति के संयोजक भी हैं, ने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र की बदहाली के लिए निजी क्षेत्र पर अति निर्भरता की नीति जिम्मेदार है और यूपीए सरकार ने बिजली कानून 2003 में जिस संशोधन का प्रस्ताव किया था, उसे वापस लिया जाए. उन्होंने बताया कि इस प्रस्ताव में बिजली वितरण और आपूर्ति को अलग अलग कर बिजली आपूर्ति के लिए कई लाइसेंस देने की बात कही गयी है.
बर्धन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार से मांग की कि उसे सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर यूपीए सरकार की दोषपूर्ण ऊर्जा नीति की पुनर्समीक्षा करनी चाहिए और ‘पुनर्समीक्षा की प्रक्रिया पूरी होने तक निजीकरण, फ्रेंचाइजी देना और कानून में संशोधन जैसी तमाम प्रक्रियाएं रोक देनी चाहिए.’ उन्होंने ये मांग भी की कि पुनर्समीक्षा के लिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय समिति बने, जिसमें ऊर्जा क्षेत्र के विशेषज्ञ और राष्ट्रीय समन्वय समिति के प्रतिनिधि शामिल हों.
सीपीआई नेता ने कहा कि यूपीए सरकार की ऊर्जा नीति का परिणाम केजी-6 घोटाला, कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला, अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट घोटाला, दिल्ली निजीकरण घोटाला जैसे अनेक घोटालों के रूप में सामने आ रहा है.
समिति ने ऐलान किया कि बिजली संकट के लिए जिम्मेदार दोषपूर्ण ऊर्जा नीति में सार्थक बदलाव के लिए देश के बिजली इंजीनियर और कर्मचारी संसद के आगामी शीतकालीन सत्र के दौरान राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सहित देश भर में प्रदर्शन करेंगे.
बिजली संकट को लेकर बिजली कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे और अन्य कर्मचारी संगठनों के नेता भी बर्धन के साथ प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद थे.